शनिवार, 29 अगस्त 2009

मुर्दे में जान लाना है ~~


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मुझे तो ज़ज्ब ए तूफान लाना है
इस मुर्दे में भी तो जान लाना है

बहुत देख चुका शराफत का हश्र
शायद अब एक शैतान लाना है

अब तो मैने कमर कस ली है

मुझको अपना आसमान लाना है

ताकि नज़र में रहे उनकी हरकतें
हर हाल में ऊँचा मचान लाना है

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
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51 टिप्‍पणियां:

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है....behad khoobsurat....

श्यामल सुमन ने कहा…

मुझको अपना आसमान लाना है - सकारत्मक चिन्तन से सजी रचना अच्छी लगी वर्मा जी।

शरद कोकास ने कहा…

छोटी बहर की खूबसूरत गज़ल है ।

लोकेन्द्र विक्रम सिंह ने कहा…

उम्मीद है तभी सफल भी होंगे.....
ख़ूबसूरत रचना.....

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

ऐसे-वैसे कुछ भी लाकर के अब क्या करेंगे
दुनिया बदलनी है तो नया भगवान लाना है.

अर्चना तिवारी ने कहा…

सुन्दर रचना...waah!

Udan Tashtari ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है

वाह, बहुत खूब!!

vikram7 ने कहा…

मैने तो अब कमर कस लिया है
मुझको अपना आसमान लाना है
बहुत सुन्दर, हर शेर लाजवाब

Nitish Raj ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
बहुत ही उम्दा, बढ़िया सार।

वाणी गीत ने कहा…

दूसरो को उनकी खुद की पहचान कराना नेक कार्य है..अपना आस्मां लाना है..अच्छी जिद है.. शुभकामनायें ..!!

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

ओम आर्य ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत है ख्वाहिश ........अतिसुन्दर

रज़िया "राज़" ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
सुंदर!!!

देवता-पयंबरों को तो बहोत देख लिया।

जिसका दिल नर्म हो वो ईंन्सान लाना है।

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

वाहवा... क्या बात है..

निर्मला कपिला ने कहा…

मैने तो अब कमर कस लिया है
मुझको अपना आसमान लाना ह
खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
बहुत खूबसूरत और सार्गर्भित रचना के लिये बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत देख चुका शराफत का हश्र
शायद अब एक शैतान लाना है

मैने तो अब कमर कस लिया है
मुझको अपना आसमान लाना है

Vah ........Lajawaab Gazal hai . aapke baagi tevar bahot hi majboot lag rahe hain ......

vandana gupta ने कहा…

khoobsoorat bhavnaon se bhari gazal..........badhayi.

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मुझे तो ज़ज्ब ए तूफान लाना है
इस मुर्दे में भी तो जान लाना है

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बहुत खूब, लगे रहिये डट कर! किसी भी अच्छी बात के लिये जुनून जरूरी है!

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

wah


मैने तो अब कमर कस लिया है
मुझको अपना आसमान लाना है
gazab, bahut khoob.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है

बेहतरीन गज़ल के लिए बधाई।

nanditta ने कहा…

मुझे तो ज़ज्ब ए तूफान लाना है
इस मुर्दे में भी तो जान लाना है
बेहद सुन्दर रचनअ

mehek ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
waah lajawab

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत, शानदार और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने! मुझे बेहद पसंद आया ! बहुत खूब!

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बहुत खूब ......!!

मुर्दे में जान लाने की बात तो ठीक है पर शैतान मत लाइयेगा ....और ये जान,कमर और पहचान तो स्त्रीलिंग शब्द हैं ....देख लें ....!!

सदा ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है.

बहुत ही सुन्‍दर रचना, बधाई

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना

bahut hi behtareen rachna.........

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

आदरणीय वर्मा साहब,

मैने तो अब कमर कस लिया है
मुझको अपना आसमान लाना है

बड़ा उम्मीदों भरा अश’आर है, पूरी गज़ल तो अच्छी है ही। बड़ी बातें निहायत सादगी से कहना आपकी विशेषता है, इसे बनाये रक्खें।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

Science Bloggers Association ने कहा…

Prernaprad gazal.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

aapke she'ro me ek alag kism ki baat hoti he jo vartmaan ki kashmkash ko bayaa karte he/
ताकि नज़र में रहे उनकी हरकतें
हर हाल में ऊँचा मचान लाना है..
wah..subhan allah..kyaa baat he ji..bahut khoob

Vinay ने कहा…

सुन्दर काव्य सृजन

Prem Farukhabadi ने कहा…

मैने तो अब कमर कस लिया है
मुझको अपना आसमान लाना है

वर्मा जी ,
बहुत अच्छा लगा यह शेर दिल से बधाई!

Asha Joglekar ने कहा…

अब तो मैने कमर कस ली है
मुझको अपना आसमान लाना है
Bahut jabardast.

seema gupta ने कहा…

अब तो मैने कमर कस ली है
मुझको अपना आसमान लाना है
जोश और सकारात्मक उर्जा से लबरेज ये शब्द सच मे सुकून पहुंचाते से लगे....

regards

Razi Shahab ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है....behad khoobsurat....

रंजू भाटिया ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है

bahut sundar likha hai aapne

Prem ने कहा…

bahut sunder rachna .naya aasman lanahai.ham bhi aapke saath hai

kshama ने कहा…

उफ़ ! इतनी टिप्पणियों के बाद और क्या कहूँ? गज़ब अल्फाज़ हैं ! काश ऐसा मै भी लिख पाती...! 'जज़्बातों' में बहा दिया आपने...!

गर्दूं-गाफिल ने कहा…

मुझे तो ज़ज्ब ए तूफान लाना है
इस मुर्दे में भी तो जान लाना है

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
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वाह जी वाह
क्या हौसला है
गहरी डूबी डूबी गजले स्केचों के रंग गज़ब
ब्लॉग भ्रमण का सुख पाया नए कलेवर यहाँ गज़ब

shama ने कहा…

कविता ब्लॉग पे बहुत सुंदर टिप्पणी दी ..'ज़िंदगी tu इसतरह आ !' ज़िंदगी ने तो कई रंग दिखलाये...दिखलाती रहेगी॥! लेकिन मौत एक ही बार में जो दिखाना है दिखा देती है..हिना? इसलिए ये दुआ!
'बुलबुल का घोंसला ' ये आलेख पदेहं ...वहाँ ज़िंदगी को पुकारा है !

http://shamasansmaran.blogspot.com

इस ब्लॉग पे ..मौत के नाम से हर कोई क्यों बचके रहना चाहता है..?..मौत ज़िंदगी का अन्तिम सत्य है ...उसे स्वीकार , उसका सुन्दरता , या , शांती से आना एक चाहत है !

admin ने कहा…

चाह उत्कट हो तो असंभव कुछ भी नहीं होता।
सुन्दर भाव हैं, बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

zindagi ki kalam se! ने कहा…

bahut umda..eak eak shabd eak jazba!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

"मुझे तो ज़ज्ब ए तूफान लाना है,
इस मुर्दे में भी तो जान लाना है|
खुद की पहचान से जो महरूम हैं,
उनके लिये उनकी पहचान लाना है|"
हर शेर लाजवाब...उम्दा ग़ज़ल....बहुत बहुत बधाई....

sandhyagupta ने कहा…

Bahut khoob.Shubkamnayen.

सागर ने कहा…

"बहुत देख चुका शराफत का हश्र
शायद अब एक शैतान लाना है !!.....
-बहुत खूब !

विवेक सिंह ने कहा…

सुन्दर गज़ल,

बहुत खूब!

Sudhir (सुधीर) ने कहा…

अब तो मैने कमर कस ली है
मुझको अपना आसमान लाना

वाह, बहुत खूब!!

pooja joshi ने कहा…

ati sundar abhivyakti...khud ki pahachan banaane ke liye all the best...

ज्योति सिंह ने कहा…

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मुझे तो ज़ज्ब ए तूफान लाना है
इस मुर्दे में भी तो जान लाना है

बहुत देख चुका शराफत का हश्र
शायद अब एक शैतान लाना है
bahut achchhe khyal .

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत दिन हुए, कोई पोस्ट क्यों नहीं डाली आपने?

हेमन्त कुमार ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है

आभार ।

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

खुद की पहचान से जो महरूम हैं
उनके लिये उनकी पहचान लाना है
हमेशा की तरह एक वर्ग विशेष की सच्चाई से रूबरू कराती रचना
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084