Monday, May 20, 2019

मासूम के पर कुतरे होंगे ---

कितनी जद्दोजहद से वे गुजरे होंगे
तब कहीं गहरी झील में उतरे होंगे

उड़ान भरने से कतरा रहा है परिंदा
बेरहम ने मासूम के पर कुतरे होंगे

दर्द छुपा लेते है लोग आसानी से
नीद मे मगर जरूर ये कहरे होंगे

जज्बात हों नहीं, ये हो नही सकता
जज्बात किसी मोड़ पर ठहरे हो़गे

मासूमों की चीखें सुनते ही नहीं हैं
एहसासों से ये लोग तो बहरे होंगे 

कौन झकझोर गया इन शाखों को
फूल ये बेवजह तो नहीं झरे होंगे

हर शख्स का अपना अक्स होता है
चेहरे दर चेहरे बेशक सौ चेहरे होंगे

12 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 21, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-05-2019) को "देश और देशभक्ति" (चर्चा अंक- 3342) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

M VERMA said...

धन्यवाद

M VERMA said...

धन्यवाद

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 119वां जन्मदिवस - सुमित्रानंदन पंत जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

मन की वीणा said...

वाह लाजवाब /उम्दा ।

Kamini Sinha said...

हर शख्स का अपना अक्स होता है
चेहरे दर चेहरे बेशक सौ चेहरे होंगे
बहुत खूब........ सादर नमस्कार

Sudha Devrani said...

लाजवाब गजल....
वाह!!!

M VERMA said...

धन्यवाद

M VERMA said...

धन्यवाद

M VERMA said...

धन्यवाद

अमित निश्छल said...

बहुत ख़ूब। उत्तम सृजन।