ख़बर ये है कि
ख़बरों में वो ही नहीं
जिनकी ये ख़बर है
.
डर से ये
कहीं मर न जाएं
बस यही डर है
.
लूटेरे भी
लूटेंगे किसको?
लुटा हुआ ये शहर है
.
दवा भला
असर करे कैसे?
शीशियों में तो ज़हर है
.
मंजिल तो
इस रास्ते पर है ही नहीं
अँधा ये सफर है
.
खौफजदा,
गुमनाम सा, दुबका हुआ
ये शेरे-बबर है
.
नाम तो है
पर बताये कैसे?
खौफ का इतना असर है
.
मुआवजा तो खूब मिला
पर उनको नहीं
जिनके उजड़े घर हैं
ख़बरों में वो ही नहीं
जिनकी ये ख़बर है
.
डर से ये
कहीं मर न जाएं
बस यही डर है
.
लूटेरे भी
लूटेंगे किसको?
लुटा हुआ ये शहर है
.
दवा भला
असर करे कैसे?
शीशियों में तो ज़हर है
.
मंजिल तो
इस रास्ते पर है ही नहीं
अँधा ये सफर है
.
खौफजदा,
गुमनाम सा, दुबका हुआ
ये शेरे-बबर है
.
नाम तो है
पर बताये कैसे?
खौफ का इतना असर है
.
मुआवजा तो खूब मिला
पर उनको नहीं
जिनके उजड़े घर हैं
14 comments:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-05-2019) को "लुटा हुआ ये शहर है" (चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद
बहुत बढिय़ा।
धन्यवाद
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना टी. बालासरस्वती जी की 101वीं जयंती और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
वाह बहुत सुंदर
शुक्रिया
सुन्दर अभिव्यक्ति।
धन्यवाद
वाह सुन्दर
धन्यवाद
बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति।
जी धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद
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