हर बार
उसके लिये भी
उसका हिस्सा
रखा गया
पर,
उस तक पहुँचने से पहले ही
अनुमान से ज्यादा
हिस्सेदार आ गये;
या फिर
कुछ हिस्सेदारों ने
निर्धारित से ज्यादा
उपभोग कर लिया,
और वह
वंचित रह गया.
ऐसा भी नहीं
कि उसे सर्वथा
नकार दिया गया
बल्कि,
उसे अगली बार का
आश्वासन दिया गया
वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
56 comments:
Wah! Kya gazab kaa sashakt wyang hai!
damn good sarcastic post !!
Enjoyed reading..
वाह ...बेहद सशक्त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
yah agli baar ... kab aayega , kahan tay hai !
Kamaal kaa likha hai!
बेहद सशक्त व्यंग्य्।
अगले चुनाव तक स्वाति नक्षत्र से टपकने वाली बूंदों का इंतज़ार....श्रेष्ठ रचना....अपार शुभ कामनाएं...
कमाल की अभिव्यक्ति बधाई
यही कहानी हर घर फैली।
मन के तारों को झंकृत कर गयी रचना।
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
सुन्दर भावों से सुसज्जित शानदार रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब रहा! वर्मा जी आपकी लेखनी को सलाम! उम्दा प्रस्तुती!
बेचारा अगली बार का ही इंतज़ार करता रह जायेगा ..सशक्त व्यंग
यह तो हिस्सा मर जानें वालों की साजिश थी....अच्छी नज़्म वर्मा जी..:)
वंचित हमेशा अगली बार के लिए टरकाया जाता रहा है।
...सटीक व्यंग्य।
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
लोकतंत्र झूठे आश्वासन पर ही चल रहा है ।
सुन्दर सार्थक रचना ॥
उसके धैर्य का यही फल मिलना था उसको । कमाल की रचना ।
सुंदर
एवं सच के करीब।
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्टें...
वाह ..बेहतरीन ।
बुहत सुन्दर रचना!
वर्मा जी आपका जवाब नहीं!
सार्थक रचना
लोग समन्दर पी जाते हैं
मैं चुल्लू बनाए झुका रह जाता हूं...
बेहतर बात...
आदरणिय वर्मा साहब,
अगली बार के आश्वासनों का बोझ उठाते हुए जिस दिन इस व्यव्स्था में गौण हो चुके लेकिन जरूरी बने हुए व्यक्ति का धैर्य जवाब दे गया?
तब बाकियों के हिस्सों में क्या बचेगा?
एक गंभीर व्यंग्य.........
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
जनता का भी तो कुछ कुछ ऐसा ही हाल है .... शशक्त रचना ...
behatreen
मन के भावों को झंकृत करती रचना।
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टेक्निकल एडवाइस चाहिए...
क्यों लग रही है यह रहस्यम आग...
बेहद सशक्त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
सत्य कहा...
सर्वथा सटीक और सार्थक...
आभार इस सुन्दर रचना के लिए...
Very impressive!
The reasons of various problems in India are on my blog. You're cordially invited to keep your views. Thanks.
यह अगली बार कुछ लोगों को कभी नहीं आता..बहुत सटीक व्यंग...बहुत सुन्दर और सशक्त प्रस्तुति..
आपको बार-बार पढने का मन करता है।
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रहस्यम आग...
ब्लॉग-मैन पाबला जी...
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
bahut badiya prabhvpurn bhavabhivykti...
बेहद सशक्त रचना है यह. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
आम आदमी आश्वासनों के भरोसे जीवन बिता देता है ...बढ़िया व्यंग्य
खूबसूरत और सार्थक कविता...
यह अक्सर होता है वर्मा जी ! शुभकामनायें आपको !
बहुत अच्छा सार्थक कटाक्ष.
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है
नयी पुरानी हल चल में आज -
bahut sundar,
आभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वंचितों के हिस्से हमेशा से आती रही है झूठी प्रशंसा।
वंचितों के हिस्से हमेशा से आती रही है झूठी प्रशंसा।
KITNA SABR HAI ? SUNDER VYANGYE
सच नकाब में होता है , यहां नहीं नंगा कोई.
सबका दिल घायल घायल यहां नहीं चंगा कोई.
सच्चे प्यार - मोहब्बत पर नफ़रतों की गश्ती है.
यह इंसानों की बस्ती है यह इंसानों की बस्ती है.
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खूबसूरत सार्थक कविता...शुभ कामनाएं...
उसे अगली बार का
आश्वासन दिया गया
वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
..aur wah agli baar kab chala jaata hai use khabar tak nahi hoti!
..vartmaan haalaton ka sundar chitran prastuti ke liye aabhar!
सुंदर शब्दों के साथ सुंदर अभिव्यक्ति...
bina kuchh kahe bahut kuchh kah gayi aapki kuchh panktiyaan
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Din-pratidin hissedaar badhate hi jaa rahe hain aur vanchito ko manch mil hi jata hai . shubhkamna
वर्मा जी,हमेशा की तरह लाजवाब कविता...
बधाई हो....
आपकी प्रतीक्षा है...
very good.....
अगली बार कोई और हिस्सा बंटाने आ जायेगा...
जिन्दगी की हकीकत यही है....!!
आपने तो पूरा शब्द जाल बनाकर कविता में परिवर्तित कर दिया. अद्भुत अभिव्यक्ति.
वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
वर्मा जी ,
निचोड़ दिया आपने तो ,
बहुत ही सुन्दर
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