Saturday, March 19, 2011

बदरंग हो गये रंग .... (होली के तीन दृश्य)

सारी उमर तमन्ना मे बीती

रंग लगाने की उसको

बदरंग हो गये रंग अब सारे

उठ गई उसकी डोली

घूँघट की ओट से वो बोली

होली है होली

.

भ्रष्टाचार, घूसखोरी का ताण्डव

कौरव की शरण में हैं पाण्डव

शहर की रक्षा में तैनात है देखो

लुटेरों की टोली

बन्दूकें खून बहाकर कहती हैं

होली है होली

.

दाल फुला बैठा है गाल

टमाटर हो गया लाल

प्याज चढ़कर सातवें आसमान पर

करने लगा ठिठोली

मान-मनौवल नकार कर बोला

होली है होली

44 comments:

  1. होली के ये भी रंग हैं। बधाई हो आपको।

    ReplyDelete
  2. घूँघट की ओट से वो बोली

    होली है होली

    .boli to sahi ... holi ki shubhkamnayen

    ReplyDelete
  3. सारी उमर तमन्ना मे बीती

    रंग लगाने की उसको

    बदरंग हो गये रंग अब सारे

    उठ गई उसकी डोली

    घूँघट की ओट से वो बोली

    होली है होली

    वाकई इससे बदरंग और क्या होगा रंग? :) आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये वर्मा साहब !

    ReplyDelete
  4. आपने तो आम आदमी की परेशानी को भी होली के रंगो से रंग दिया, बहुत ही सशक्त रचना.

    होली पर्व की घणी रामराम.

    ReplyDelete
  5. होली का ये अंदाज़ बढ़िया लगा।

    ReplyDelete
  6. तीनो व्यंग्य एक से बढ़कर एक.....
    होली की बधाई आपको भी.

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर रचना!
    आपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  8. सुन्दर व्यंग ।
    होली के बहाने से ही सही , आप आए तो ।
    होली की बहुत बहुत शुभकामनायें ।

    ReplyDelete
  9. सारी क्षणिकाएं अलग अलग रंग की ...बहुत अच्छी प्रस्तुति ..

    होली की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  10. soch ka ye rang bhi ubhar kar aaya hai!

    ReplyDelete
  11. hansi nahi ruk saki ,alag hi dhang -rang hai yahan ,holi parv ki dhero badhai le .

    ReplyDelete
  12. aअब होली है तो हुडदंग में भ्रष्टाचार, लाचार और अत्याचार का रंग तो शामिल होगा ही ना :)

    ReplyDelete
  13. तीनो क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक हैं ... जहाँ पहली वाली ने हास्य रस का संचार किया, दूसरी और तीसरी ने आजके समाज पर ऊँगली उठाई है ... बहुत सुन्दर !
    आपको और आपके परिवार को होली की ढेरो हार्दिक शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  14. रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|

    ReplyDelete
  15. होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

    ReplyDelete
  16. महंगाई पर करारा व्यंग. सचमुच महंगाई ने त्यौहारों के रंग को फीका कर दिया है. शुभकामना.

    ReplyDelete
  17. दाल फुला बैठा है गाल
    टमाटर हो गया लाल
    प्याज चढ़कर सातवें आसमान पर
    करने लगा ठिठोली ....

    Bahut khoob Verma ji ... teeno lajawaab ... hansi aur vuang ka mazaa liye ..
    Aapko aur aapke poore parivaar ko holi ki mubaarakbaad ...

    ReplyDelete
  18. हर क्षणिका में अलग रंग है ...
    महंगाई और आतंकवाद त्यौहार के उल्लास को धूमिल करते हैं , मगर ख़त्म नहीं कर सकते !

    ReplyDelete
  19. वर्मा जी की पोस्ट आ गई
    आते ही सब पर छा गई
    मैने सोचा बात क्या हुई
    रंग सभी हंसकर बोले
    होली है होली।
    ...होली की ढेर सारी शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  20. अलग अलग रंगो की छटा बिखेर्ती तीनों क्षणिकाएं अच्छी लगी.
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  21. शहर की रक्षा में तैनात है देखो
    लुटेरों की टोली...

    बेहतर...

    ReplyDelete
  22. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 22 -03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

    ReplyDelete
  23. चलिए घूँघट की ओट से ही सही बोली तो ......):

    होली है होली ......!!

    तीनों प्रभावशाली रचनायें ....!!

    ReplyDelete
  24. वाह! बहुत ही ज़बरदस्त.... बहुत ही बढ़िया लिखा है... बेहतरीन भाव सजाएं है आपने... होली की शुभकामनाएं!

    ReplyDelete
  25. रंग-बिरंगी क्षणिकायें अपने रंग बिखेर गईं ,होली की बोली में ,किस-किस को टेर गईँ !

    ReplyDelete
  26. भ्रष्टाचार, घूसखोरी का ताण्डव

    कौरव की शरण में हैं पाण्डव

    शहर की रक्षा में तैनात है देखो

    लुटेरों की टोली

    बन्दूकें खून बहाकर कहती हैं

    होली है होली


    बहुत सही पन्तियाँ .........

    ReplyDelete
  27. वाह ...बहुत खूब

    ।। होली की शुभकामनाएं ।।

    ReplyDelete
  28. होली के तीनों रंग स्वयं को स्वतः व्यक्त कर रहे हैं |

    बेहतरीन रचना ...

    ReplyDelete
  29. होली के अनुपम रंगों से सजी ये रचनाएं भी अनमोल हैं ! तीनों रचनाएं एक से बढ़ कर एक हैं ! होली की हार्दिक शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  30. बहुत सटीक व्यंग..सभी रचनाएँ लाज़वाब...

    ReplyDelete
  31. pahli chaar lines to hairan kar gayi ki aaj varma ji ki lekhni samaaj ko chhod doli par kahan ja ruki...lekin aapki lekhni apni mani manzil kaise bhool sakti hai. sateek rachna.

    ReplyDelete
  32. बहुत ही शानदार.... आपको होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ............

    ReplyDelete
  33. भ्रष्टाचार, घूसखोरी का ताण्डव

    कौरव की शरण में हैं पाण्डव

    शहर की रक्षा में तैनात है देखो

    लुटेरों की टोली

    बन्दूकें खून बहाकर कहती हैं

    होली है होली
    सच्चाई के रंगों के तेवर ऐसे ही होते हैं !
    प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति !
    आभार !

    ReplyDelete
  34. holi ke rang dil kanhi dukha gaye to kahin dahala gaye.
    Holi aapki sunder rang bhari beeti hogee.

    ReplyDelete
  35. वर्मा जी, बेहतरीन रंग...माफ़ कीजिए मैं देर से पहुँचा..बेहद उम्दा भाव बधाई

    ReplyDelete
  36. बदरंग हो गये रंग
    कौरव की शरण में हैं पांडव !
    होली का हास्य और व्यंग्य दोनों ही मिला !आभार !

    ReplyDelete
  37. Badrang holi ne to aaj ka chehra hi saaf kar diya..aah koi kaise khele holi...fir se kahungi ...bahut achchhi lagi..

    ReplyDelete
  38. खुद के जमीर के खिलाफ

    न जाने कितनी बार मैं लड़ा हूँ

    तभी तो,

    तमाम इन गिरती दीवारों के बीच

    आज तक मैं खड़ा हूँ
    बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete