जज़्बात

संस्कारित-सभ्यों के बीच आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?

Wednesday, August 7, 2019

सूरज से टकराया

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आतुर सुलझाने को उलझा धागा वह जागा उठकर भागा, सूरज से टकराया चकराया, गश खाया जीवन को दे डाला जीवन का वास्ता रास्ते पर वह या उसक...
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Tuesday, June 11, 2019

अपराधो पर अंकुश का 'रामबाण'

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नवगठित सरकार आरम्भ से ही सक्रिय हो गयी. जनता की परेशानियो को समझने के लिये समितिया गठित की गयी. सभी समितियो ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की...
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Thursday, May 30, 2019

मूर्खता : एक सात्विक गुण

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मूर्खता एक सात्विक गुण है, जिसे धारण करने से अपमान की सम्भावना कम हो जाती है. याद रखें अपमानित सदा विद्वत्ता का दुर्गुण धारण करने वाले ही ...
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Monday, May 27, 2019

तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है …

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पीये और पिलाए नहीं तो क्या किया? पीकर भी जो लड़खडाए नहीं, तो क्या किया? . तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है नाज़नीन से पिटकर आये नहीं,...
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Monday, May 20, 2019

मासूम के पर कुतरे होंगे ---

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कितनी जद्दोजहद से वे गुजरे होंगे तब कहीं गहरी झील में उतरे होंगे उड़ान भरने से कतरा रहा है परिंदा बेरहम ने मासूम के पर कुतरे होंग...
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Monday, May 13, 2019

लुटा हुआ ये शहर है

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ख़बर ये है कि  ख़बरों में वो ही नहीं जिनकी ये ख़बर है . डर से ये  कहीं मर न जाएं बस यही डर है . लूटेरे भी  लूटेंगे किसको? लुटा ...
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Sunday, May 5, 2019

स्तुत्य हौसला

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जमीन से कुछ उठाकर   यह परिंदा   पंख फैलाकर उड़ रहा है सच तो यह है कि इस तरह वह अपने जमीन से जुड़ रहा है जो ज़मीन से जुड़ता नहीं ह...
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Thursday, May 2, 2019

वैयाकरण’ की साजिश

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तुमने कहा -- रूको, मत जाओ मैनें समझा -- रूको मत, जाओ और मैं चुपचाप चला आया था -- उस दिन बिना किसी शोर बिना किसी तूफान कितना भयानक ज़लज़ला ...
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Sunday, April 28, 2019

सोच में बम ...

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हालात पर नज़र रखने का वायदा था समुंदर की सतह पर इस देश को रखकर हम नज़र रक्खे हैं कि नहीं? कीमतें कम करने पर सवाल आखिर क्यूँ? ...
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Thursday, April 25, 2019

रजामंदी का दौर -- क्षणिकाएं

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यूं तो तुमने मुझे जीवन जीने का  नज़रिया दिया पर अफ़सोस  कि तुमने  जीवन जीने का न ज़रिया दिया  ××× लोग समझ रहे हैं कि चल रहा है  म...
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Monday, April 22, 2019

गालियों की वापसी ....

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पहचान कर बयान देकर वापस लेने के ट्रेंड को माँ-बहन की अनगिनत गालियाँ दे डाली मैंने अपने फ्रेंड को सोचा था मैं उसको सरप्राईज द...
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Friday, April 19, 2019

लहरों से डरता हुआ तैराक ...

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मत पूछिए ये दिल चाक-चाक क्यूँ है एहसासों को पत्थर की पोशाक क्यूँ है? हालात का तर्जुमा तुम्हारी निगाहों में है फिर दर्द छुपान...
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Wednesday, April 17, 2019

घड़ियाली आँसू अब बहाये जायेंगे ...

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तरकश के सारे तीर चलाये जायेंगे शफ्फाक धवल वस्त्र सिलाये  जायेंगे   जिनकी आँखे पथरा गयी हैं उनमें आयातित सपने भी जगाये जायेंगे ...
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Saturday, April 13, 2019

इ शहर में आउर कौनो परेशानी नाही बा (भोजपुरी ग़ज़ल)

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खाना नाही, बिजली आउर पानी नाही बा इ शहर में आउर कौनो परेशानी नाही बा मनई क देखा कान कुतर देहलेस चुहवा लागेला कि इ शहर में चूहेदा...
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Monday, April 1, 2019

सैलाब रक्खेंगे -----

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ये तुम्हारा भरम है कि वे गुलाब रक्खेंगे मंजिल से ठीक पहले वे सैलाब रक्खेंगे हकीकत कही तुमसे रूबरू न हो जाये तुम्हारे पलको पर अ...
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M VERMA
वाराणसी में पला-बढ़ा, दिल्ली में अध्यापन कार्य में संलग्न हूँ। जब कभी मैं दिल के गहराई में कुछ महसूस करता हूँ तो उसे कविता के रूप में पिरो देता हूँ। अभिनय भी मेरा शौक है।
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