सोमवार, 1 नवंबर 2010

अगला निशाना ~~


वंश के वंश

खड़े किये गये

दंश के कगार पर

या फिर सप्रयास

मजबूर किये गये

चलने को अंगार पर

खंजर बेचैन है

संहार करने को

निर्देशित है वह

छुपकर प्रहार करने को

गली के नुक्कड़ पर

खड़ा है दु:शासन

झूठा समर

किस्तों में आश्वासन

अपने अपनों का

मुँह मोड़ना

अभिलाषाओं का

दम तोड़ना

अर्थहीन दिलासा के शब्द

कर गये नि:शब्द.

.

अगला निशाना

बेरोजगार पर

वंश के वंश

खड़े किये गये

दंश के कगार पर

45 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

ज़िन्दगी को नये अर्थ देती रचना।

संजय भास्‍कर ने कहा…

गहरी बात कह दी आपने। नज़र आती हुये पर भी यकीं नहीं आता।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

अब तो वंश के वंश खडे किये जा रहे है जनता के दंश के लिए :(

Aman Peace ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष करती प्रभावशाली रचना।

मनोज कुमार ने कहा…

अच्छा व्यंग्य। बस यही कहना है कि नरम शब्दों से सख्त दिलों को जीता जा सकता है।

kshama ने कहा…

Uf! Kitna dard hota hai,aisee sachhayi padhke! Nihayat achhee rachana hai!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

एक समसामयिक रचना …किस तरह से नवयुवकों को जो बेरोजगार हैं उनको मजबूर कर दिया जाता है गलत कामो को करने के लिए …और इस तरह एक नया वंश बनाया जा रहा है .सोचने पर मजबूर करती आपकी रचना ...अच्छी प्रस्तुति

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 02-11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सत्य का छुरा उतार दिया परिस्थितियों पर।

रानीविशाल ने कहा…

आपकी रचनाओं में ज्वलंत समस्याओं पर जो सटीक व तीखा प्रहार होता है...हमेशा ही दिल छू लेता है !!

shikha varshney ने कहा…

विचारणीय ..गहरा व्यंग करती रचना.

Razia ने कहा…

नुक्कड़ पर खड़ा है दु:शासन
झूठा समर
किस्तों में आश्वासन

यथार्थ के करीब रचना ..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत जबरदस्त!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

खंजर बेचैन है

संहार करने को

निर्देशित है वह

छुपकर प्रहार करने को
vismit hun is vyakhyaa per .... soch kitne saare drishtikon deti hai

Asha Joglekar ने कहा…

खरी खरी कविता ।

Dr Xitija Singh ने कहा…

वंश के वंश खड़े हैं मानवता के दंश को ... हो सके तो बचा लो इसके अंश को ...

ज़बरदस्त रचना वर्मा जी

vandana gupta ने कहा…

आज के हालात पर बेहतरीन कटाक्ष्……………अति सुन्दर्।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वंश के वंश
खड़े किये गये
दंश के कगार पर
या फिर सप्रयास मजबूर किये गये
चलने को अंगार पर

इस व्यवस्था पर करारी चोट करती है आपकी रचना ... कितना बेबस हो जाता है इंसान कभी कभी .... बहुत ही प्रभावी रचना ...

M VERMA ने कहा…

निर्मला कपिला has left a new comment on your post "अगला निशाना ~~":

वंश के वंश

खड़े किये गये

दंश के कगार पर
सटीक अभिव्यक्ति।
आपकी आवाज मे गज़ल सुनी मन आनन्द से भर गया। बहुत सुन्दर पोस्ट। धन्यवाद।

सदा ने कहा…

वंश के वंश
खड़े किये गये
दंश के कगार पर
या फिर सप्रयास मजबूर किये गये
चलने को अंगार पर .....!!

गहरे भावों के साथ सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और विचारोत्तेजक रचना ... खंजर हमेशा छुपकर ही चलाया जाता रहा है ...

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

बाऊ जी,
नमस्ते!
बहुत ज़्यादा समझ में नहीं आयी!
दरअसल मैं अभी छोटी क्लास में हूँ!
आशीष
---
पहला ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!

Kailash Sharma ने कहा…

गली के नुक्कड़ पर

खड़ा है दु:शासन

झूठा समर

किस्तों में आश्वासन....

आज की व्यवस्था पर बहुत सटीक व्यंग्य...आभार

Dorothy ने कहा…

अपने परिवेश में मौजूद विसंगतियों पर एक तीखी और करारी चोट करती एक सार्थक और सशक्त रचना, जिसे आपने बेहद संवेदनशील और मर्मस्पर्शी ढंग से उकेरा है. आभार.
सादर,
डोरोथी.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है!
--

ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

बेनामी ने कहा…

बेहतर...

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

bahut hee sundar rachna...
deepawalee hardik shubh kamnayen

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

दीपावली की असीम-अनन्त शुभकामनायें.

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar ने कहा…

पौराणिक प्रतीकों से यह रचना और भी अर्थगर्भित हो गयी है... नये प्रतीक और बिम्ब तो हैं ही।

बधाई स्वीकरें...हुज़ूर!

Prem Farukhabadi ने कहा…

यथार्थ के करीब रचना ..अच्छी प्रस्तुति.

Urmi ने कहा…

आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!

कविता रावत ने कहा…

खंजर बेचैन है
संहार करने को
निर्देशित है वह
छुपकर प्रहार करने को
......बहुत अच्छी सार्थक रचना ..आभार
दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ

मेरे भाव ने कहा…

आज के हालात पर बेहतरीन कटाक्ष्……………अति सुन्दर्।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

आपको जन्मदिन की बधाईयाँ ....!!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

जन्म दिन की बधाई देने आया था...अच्छी कविता पढ़ने को मिली। कविता व्यवस्था पर चोट करती है।
..जन्म दिन की बधाई स्वीकार करें।

निर्मला कपिला ने कहा…

सुन्दर रचना। आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें।

kshama ने कहा…

Behad sundar,sanjeeda rachana.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मार्मिक कविता है भाई.

कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com

mridula pradhan ने कहा…

bahot bhawpurn.

ushma ने कहा…

मर्मस्पर्शी रचना दिल को कही गहरे में छू गई ! सटीक व्यंग्य ! आभार !

स्वप्निल तिवारी ने कहा…

najaane kitne log isi tarah ki paristhiti sachmuch na jane kaise jee lete hain ... rom rom ko udvelit karti ek uttam rachna ....

deepti sharma ने कहा…

jindgi ki sachhayi bayan kar di hai aapne to

der se aane ko mafi chahti hu

Girish Billore Mukul ने कहा…

तीखा कटाक्ष
वाह
ब्लाग4वार्ता :83 लिंक्स
मिसफ़िट पर बेडरूमम

ZEAL ने कहा…

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सटीक व्यंग ! आखिर जिन्दा कैसे था अब तक ?

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