अपनी एक कहानी रक्खो
अन्दर अपने पानी रक्खो
अन्दर अपने पानी रक्खो
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भूखे पेट सोये ही क्यों कोई
माँ का आँचल धानी रक्खो
भूखे पेट सोये ही क्यों कोई
माँ का आँचल धानी रक्खो
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इतने भारी-भरकम क्यूँ हो
कुछ आदत बचकानी रक्खो
इतने भारी-भरकम क्यूँ हो
कुछ आदत बचकानी रक्खो
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परिन्दों सा उड़ना चाहो तो
एहसासों को रूहानी रक्खो
परिन्दों सा उड़ना चाहो तो
एहसासों को रूहानी रक्खो
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पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो
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सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो
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भीड़ में खो जाने का खतरा
खुद की खुद निगरानी रक्खो
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शिकवों को काफूर ही समझो
जो पेशानी पर पेशानी रक्खो
40 comments:
भीड़ में खो जाने का खतरा
खुद की खुद निगरानी रक्खो....
अच्छी रचना
पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो..
kya baat kahi hai! Harek pankti shandaar hai...sakaratmak arth se bharpoor..
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सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो..
bahut sundr laine.
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बढ़िया रचना हैं
नवरात्र पर्व की शुभकामनाये ....
बढ़िया रचना हैं
नवरात्र पर्व की शुभकामनाये ....
सुखद नींद में सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो
बेहतरीन पंक्तियाँ..सुकून पहुंचाती हुई.
परिन्दों सा उड़ना चाहो तो
एहसासों को रूहानी रक्खो
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पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो
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इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
Behtareen, varmaji
पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो
.भीड़ में खो जाने का खतरा
खुद की खुद निगरानी रक्खो nice
क्या कहने सरजी....
उम्दा ग़ज़ल और अनोखे शब्दों की सुन्दर संरचना... वाह...वाह...waah
पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो
बहुत खूब कहा ।
भीड़ में खो जाने का खतरा
खुद की खुद निगरानी रक्खो
यथार्थपरक रचना
बहुत सुन्दर
पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो.
बहुत सुंदर जी
बहुत बेहतरीन रचना.
रामराम.
क्या बात कही आपने..एक एक लाइन विचार करने योग्य..सुंदर विचारों से सजी बढ़िया ग़ज़ल..बधाई वर्मा जी...
भीड़ में खो जाने का खतरा
खुद की खुद निगरानी रक्खो....
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो..
wah wah, sabhi sher lajawaab.
अपने अन्दर पानी रखो ..अनेक अर्थ हैं इस मिसरे में ।
भूखे पेट सोये ही क्यों कोई
माँ का आँचल धानी रक्खो
बेहतरीन अभिव्यक्ति!
हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने उम्दा रचना लिखा है!
भूखे पेट सोये ही क्यों कोई
माँ का आँचल धानी रक्खो
बहुत सुन्दर भाव
पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो
बहुत खूब ...
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो
खूबसूरत ख्याल...
आपकी ये ग़ज़ल बहुत पसंद आई....बधाई
परिन्दों सा उड़ना चाहो तो
एहसासों को रूहानी रक्खो
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पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो
bahut sundar gazal bahut gahare bhaav liye har ek sher apane aap me kamaal hai...dhanywaad.
बहुत सुन्दर और मनभावन!
भारतीय नव-वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अच्छी रचना , दिल को छूने वाली
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो
बहुत खूब कहा आपने शुक्रिया
sabhi lines ekdam sateek hain, aur sarthak. aabhar.
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो..
बहुत खूब .....!!
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो..
bahut sunder rachana.
वाह वाह वाह....लाजवाब....
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल...हर शेर मन को मोहने और स्वतः ही वाह करवा देने वाला...
बड़ा ही आनंद आया पढ़कर....बहुत बहुत आभार...
kin lafzon mein tarif karoon.......sabhi ek se badhkar ek.
Kabeer ki saakhi ki si hai ye rachna bhi.. achchhi seekh deti hui.
पदचिह्नों पर चलकर आये
खुद की अब निशानी रक्खो..
बहुत ही सुन्दर शब्दों का चयन, बेहतरीन प्रस्तुति
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो..
Kya baat kahee hai ! Esee rachna ke liye badhaiya !
बहुत सुन्दर, प्रत्येक पंक्तिया अपना वजन रखती है । आभार
गुलमोहर का फूल
...बेहद प्रसंशनीय अभिव्यक्ति,बधाई!!!
आपकी रचना सुन्दर बहुत है,
बनाके सच की निशानी रक्खो ।
"इतने भारी-भरकम क्यूँ हो
कुछ आदत बचकानी रक्खो।"
"इतने भारी-भरकम क्यूँ हो
कुछ आदत बचकानी रक्खो।"-
इन दोनों ने मुग्ध किया । बेहद खूबसूरत रचना । सहजता से बहुत कुछ अभिव्यक्त करती रचना । आभार ।
सुखद नींद मे सो जाओगे
सिरहाने याद पुरानी रक्खो
बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत गहरी बातें
बहुत खूब !!
बेहतरीन रचना !!
ग़ज़ब के शेर हैं सब के सब ... किसी एक का चयन बहुत मुश्किल है ...
छोटी छोटी बात मगर गहरी बात ... ये आपकी विशेषता है ....
kuch sher out of the world type hue hain ...behad shandar... jhud ki khud nigrani was awesome .... behar chhoti hai ..aur chooti behar likhna padhana mujhe jadoo jaisa lagta hai ..kuch ek sher ka flow gadbad hai ..so un par ek nazar aur daali ja sakti hai ...mubarak aisi khubsurat ghazal ke liye
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