Friday, January 15, 2010

लाशों के बँटवारे हैं ~~

लाशों के बँटवारे हैं

मुट्ठी में पर नारे हैं


*


चाँद जब ग्रहण में था


वे बोले क्या नज़ारे हैं


*


डूब गय साहिल पर ही


जितने कश्ती उतारे हैं


*


फूल से खिले हैं जो


मत छूना ये अंगारे हैं


*


जमीं पे पाँव रखते नहीं


चढ़े हुए जो पारे हैं


*


ताकि शिनाख़्त हो सके


हमने खुद को मारे हैं


*


क्षत-विक्षत मिल जायेंगे


सपने जो हमने सँवारे हैं

36 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

ताकि शिनाख्त हो सके ,
हमने खुद को मारे है
बहुत खूब, अति सुन्दर !

अजय कुमार said...

क्षत-विक्षत मिल जायेंगे

सपने जो हमने सँवारे हैं

अच्छी प्रस्तुति , गहरे भाव

मथुरा कलौनी said...

वाह, सरल शब्‍दों में गहरे भाव सँवारे हैं।

राज भाटिय़ा said...

बहुत गहरे भाव लिये है आप की यग रचना

हरकीरत ' हीर' said...

चाँद जब ग्रहण में था
वे बोले क्या नजारे हैं ....

वाह...वाह......!!

रंजू भाटिया said...

चाँद जब ग्रहण में था वे बोले क्या नज़ारे हैं वाह खूब ...बहुत सुन्दर लिखा है आपने शुक्रिया

Anonymous said...

डूब गए साहिल पर ही जितने कश्ती उतारे हैं
गहरे भावों को चित्रित करती समसामयिक रचना. बहुत सुंदर वर्मा जी आभार.

Dushyant said...

is saat sheron me apne 7 sachchaiyon ko kaafi khubsurati aur lekhan ke ati kaushal se ujagar kiya hai..badhai...twitter ko dhanyavaad jisne yeh rachna padhne ka mauka diya..behtareen rachna
dushyant
chandmutthiashaar.blogspot.com
kabhi nazr-e-inayat farmaiyega..

vandana gupta said...

bahut hi gahan abhivyakti.

ताऊ रामपुरिया said...

वर्मा जी बहुत बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

निर्मला कपिला said...

क्षत-विक्षत मिल जायेंगे

सपने जो हमने सँवारे हैं

चाँद जब ग्रहण में था

वे बोले क्या नजारे हैं .
वाह वाह वर्मा जी कमाल की गज़ल है बधाई

Yogesh Verma Swapn said...

wah , verma ji behatareen rachna.badhaai.

shikha varshney said...

आखिरी २ पंक्तियाँ बहुत प्रभावित करती हैं ....बहुत सुंदर रचना..

kshama said...

ताकि शिनाख़्त हो सके

हमने खुद को मारे हैं

*

क्षत-विक्षत मिल जायेंगे

सपने जो हमने सँवारे हैं
Kya gazab likha hai!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ताकि शिनाख़्त हो सके
हमने खुद को मारे हैं

बहुत ही गहरे भाव वर्मा जी-आभार

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति वर्मा जी...

कडुवासच said...

...बहुत सुन्दर !!!

दीपक 'मशाल' said...

rojmarra ki baton me se bahut hi kaamyab rachna nikaali aapne sir.. badhaai
Jai Hind...

Khushdeep Sehgal said...

वर्मा जी, आपको सैल्यूट...

जय हिंद...

Murari Pareek said...

wah vermaaji kyaa kahne!!!

Unknown said...

lajwaab.

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति की शुभकामनायें!
गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने बहुत सुन्दर रचना लिखा है! बधाई!

दिगम्बर नासवा said...

क्षत-विक्षत मिल जायेंगे
सपने जो हमने सँवारे हैं .....

सपने जो पूरे नही होते टूट जाते हैं .... बहुत ही लाजवाब छोटी बहर की ग़ज़ल है वर्मा जी ......... दिल से निकले हुवे शेर हैं .......................

अनामिका की सदायें ...... said...

चाँद जब ग्रहण में था
वे बोले क्या नजारे हैं ..

vah kya baat hai...gazel ka har sher lajawab chot karta hua.

रावेंद्रकुमार रवि said...

"किस तरकश से निकले हैं - ये व्यंग्य-बाण?"
--
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .
संपादक : सरस पायस

ज्योति सिंह said...

चाँद जब ग्रहण में था

वे बोले क्या नज़ारे हैं
waah kya baat hai verma ji, bahut khoob hai rachna .nav varsh par ek aalek dali hoon apne vichar se shobha badhaye kavyanjali pe .

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

शरद कोकास said...

बहुत खूब

संजय भास्‍कर said...

क्या टिप्पणी दूं . हमेशा की तरह शानदार रचनायें. मार्मिक संवेदनशील.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अच्छी गजल.
यह शेर तो बेहद उम्दा है-

चाँद जब ग्रहण में था
वे बोले क्या नजारे हैं ..
..वाह.

BrijmohanShrivastava said...

सपनों का क्षत विक्षत होना,गम्भीर चिन्तन एवं भाव भी ।चांद को ग्रहण लगा था और उन्हे नजारे दिख रहे थे यही आलम है ""क्या कहीं फ़िर कोई बस्ती उजडी ,लोग क्यो जश्न मनाने आये

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

संजय भास्‍कर said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

Razi Shahab said...

achchi rachna

प्रिया said...

चाँद जब ग्रहण में था

वे बोले क्या नज़ारे हैं

wat a thinking

fantastic!

sandhyagupta said...

क्षत-विक्षत मिल जायेंगे

सपने जो हमने सँवारे हैं

Ye panktiyaan khas taur par bahut achchi lagi.Shubkamnayen.