Monday, November 2, 2009

अजन्मे प्रश्नों का क्लोन ~~


~~
अभी मैनें
प्रश्न किया भी नहीं था
कि
उत्तरों की फौज् ने आकर
अवरूद्ध कर दिया
मेरे हर संभावित प्रश्न की राह को
और ये उत्तर
प्रश्नों के ही लिबास में थे
नहीं छोड़ा
मेरे किसी भी प्रश्न को
दिमाग के गर्भ में
छत-विच्छत करने से.

मैं हतप्रभ हूँ
उन्हें कैसे पता चला
मेरे प्रश्नों के कद,

काठी और लिबास का;
उन्हें कैसे एहसास था
मेरे प्रश्नों के मर्मस्थल का;
उन्हें कैसे पता था
अजन्मे मेरे प्रश्नो के
पल-पल का.

शायद मेरा दिमाग
टेप किया जा रहा है;
या शायद

मेरे दिमाग का
क्लोन बना लिया गया है.
~~

36 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

मै हतप्रभ हूँ,
उन्हें कैसे पता चला
मेरे प्रश्नों के कद
काठी और लिबास का.............

सुन्दर भाव, वर्मा साहब !!

ओम आर्य said...

बहुत ही गहराई है आपकी इस रचना मे!
खुब्सूरत अभिव्यक्ति!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

मैं हतप्रभ हूँ
उन्हें कैसे पता चला
मेरे प्रश्नों के कद,
काठी और लिबास का;
उन्हें कैसे एहसास था
मेरे प्रश्नों के मर्मस्थल का;
उन्हें कैसे पता था
अजन्मे मेरे प्रश्नो के
पल-पल का.

bahut hi gahri abhivyakti ke saath ek sunder rachna....

M VERMA said...
This comment has been removed by the author.
M VERMA said...

शुक्रिया आप सभी को

Razia said...

नहीं छोड़ा
मेरे किसी भी प्रश्न को
दिमाग के गर्भ में
छत-विच्छत करने से.
गहरे भावों की कविता

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

इसे टेलीपेथी या इंट्यूशन कहते होंगे:)

राज भाटिय़ा said...

वर्मा साहब बहुत सुंदर रचना लिखी आप ने लगता है हर किसी का यही सवाल, यही प्रशन होगा.
धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

मैं हतप्रभ हूँ
उन्हें कैसे पता चला
मेरे प्रश्नों के कद,
काठी और लिबास का;
उन्हें कैसे एहसास था
मेरे प्रश्नों के मर्मस्थल का;
उन्हें कैसे पता था
अजन्मे मेरे प्रश्नो के
पल-पल का.

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।
बधाई!

Gyan Dutt Pandey said...

फिक्र न करें उत्तरों की वर्षा जिज्ञासा को अवरुद्ध नहीं कर सकती।
मौन में भी बहुत प्रश्न होते हैं।

रश्मि प्रभा... said...

आह.....इन तूफानी हमलों में कुछ सोचने का अवसर नहीं होता,न कुछ जान पाने का.......
बस एक हताश स्थिति होती है.......
इस स्थिति का सही आकलन

shikha varshney said...

गहरे भाव और खुबसूरत अभिव्यक्ति ...........

Prem said...

बहुत सुंदर भावः --सुंदर अभिव्यक्ति .

डिम्पल मल्होत्रा said...

उन्हें कैसे पता था
अजन्मे मेरे प्रश्नो के
पल-पल का....खुब्सूरत अभिव्यक्ति!

दीपक 'मशाल' said...

itni khoobsoorat soch ko utni hi sundar rachna banane ke liye badhai sir, achchha laga aapki rachna ka Hindyugm par chayan hote dekhkar... Badhai.
Jai Hind...

Urmi said...

बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये शानदार रचना काबिले तारीफ है!

Sudhir (सुधीर) said...

और ये उत्तर
प्रश्नों के ही लिबास में थे


मानसिक हलचल और प्रश्नों के उत्तर में सिर्फ प्रश्न मिलने का सुन्दर चित्रण. वाह!!

सदा said...

उन्हें कैसे पता था
अजन्मे मेरे प्रश्नो के ।

बहुत ही गहरे भावयुक्‍त रचना, आभार

vandana gupta said...

अभी मैनें
प्रश्न किया भी नहीं था
कि
उत्तरों की फौज् ने आकर
अवरूद्ध कर दिया
मेरे हर संभावित प्रश्न की राह को
और ये उत्तर
प्रश्नों के ही लिबास में थे
नहीं छोड़ा
मेरे किसी भी प्रश्न को
दिमाग के गर्भ में
छत-विच्छत करने से.

bilkul sahi.........prashnajaal ki uljhan aur suljhan dono ka bahut hi khoobsoorti se prastutikaran kiya hai.

Dr. kavita 'kiran' (poetess) said...

mere gazal ko nawazne ke liye aur mere blog per aane ke liye shukriya varma sahab!
aapki is sarthak kavita se mujhe bhi apna ak sher yad aa gaya-
ghar se aana nahi nika sahib
log kar jate hain qatal sahib
aapko aapse kahin jyada
janta hai wo aajkal sahib!-
ye sahi hai ak din aadmi dil ke sath ab dimag per bhi apna adhikar kho dega.

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब .. वर्मा जी बहुत खूब ......... सच में कभी कभी ये दुनिया प्रश्न करने से पहले ही बंद कर देती है सारे उत्तर ........ कमाल की कल्पना है ......

Murari Pareek said...

SUNDAR RACHNAA !!! PRASHNA KAHAAN ADHURE RAHTE HAI UTAR MIL HI JAATE HAIN!!!

अभिषेक आर्जव said...

शायद किसी बड़े षडयन्त्र का हिस्सा थे वे अवरुद्ध करने वाले प्रश्न …………सत्य का गर्भस्थल कब षडयन्त्रों के व्यूह से मुक्त रहा है ……..इतिहास साक्षी है ….!

Asha Joglekar said...

सच है प्श्न के उत्तर में एक और प्रश्न यही फितरत है दुनिया की । बहुत ही गहरे पैठ कर लिखी है ये रचना ।

महेन्द्र मिश्र said...

शायद मेरा दिमाग
टेप किया जा रहा है;
या शायद
मेरे दिमाग का
क्लोन बना लिया गया है.

बहुत सुन्दर गजब की अभिव्यक्ति...आभार

डॉ टी एस दराल said...

बहुत आगे की सोच.अतिउत्तम.

Jyoti Verma said...

bahut sahi likha hai apne.aaj zindagi time se pahle bhag rahi hai.aati sundar abhivyakti.

Science Bloggers Association said...

एकदम अनोखी कल्पना दर्शायी है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Neelesh K. Jain said...

Swaal ye hai ki swaal kaun uthaata hai...

mera blog achcha laga ...dhanyvaad!

Neelesh

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति................
बधाई....

देवेन्द्र पाण्डेय said...

प्रश्न बन खड़े हो जाते हैं जब अपने ही प्रश्नों के उत्तर, अच्छे नहीं लगते।
--बेहतरीन कविता।

यादों का इन्द्रजाल... said...

मैं हतप्रभ हूँ
उन्हें कैसे पता चला
मेरे प्रश्नों के कद,
काठी और लिबास का;
उन्हें कैसे एहसास था
मेरे प्रश्नों के मर्मस्थल का;
उन्हें कैसे पता था
अजन्मे मेरे प्रश्नो के
पल-पल का.

गहरे अर्थो को समेटे आपकी रचना बहुत भली लगी.

Amit K Sagar said...

बेहद गहरी व उम्दा रचना. सवालों और जवाबों के बीच का द्वंद मन सामने रख दिया हो जैसे.
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महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!

Vinay said...

सौन्दर्य और दृश्य का चक्रवात सा जान पड़ता है
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चाँद, बादल और शाम

Rajeysha said...

दि‍माग तो खुद टेप करता है जी वो सब जि‍से कवि‍ता कहते हैं।

Unknown said...

main hatprabh hoon ki aap itne sunder vichhar kaise likh dete hain itne sahaj dhang se