तकरीबन हर रोज़ उसे
धूल में मिलाया गया,
साजिशन
उसे जहर पिलाया गया,
उसके गले में
फन्दा डाला गया;
एनकाउंटर उसका हुआ,
कुचला गया उसको
गाड़ियों के टायरों से,
अक्सर वह घिरा मिला
स्वयंभू कायरों से,
मारा गया तो चीखा वह
चीख के कारण फिर मार पड़ी,
अट्टहास की ध्वनियों ने
उसका पीछा किया
और फाईनली कल ही तो
दाह संस्कार किया गया उसका,
उसकी राख तक
तिरोहित कर दी गयी गंगा में.
.
पर आज फिर वह
अनाहूत सा ज़िन्दा मिला,
फिर उसकी कोख में
एक अधजला परिन्दा मिला,
कोशिश जारी है
फिर से उसे मौत की घाट
उतारने की,
उसे फिर मारा जायेगा
उसे फिर जिन्दा जलाया जायेगा
उसे फिर ......
उसे फिर ......
बहुत सुन्दर कविता ... आम आदमी का हश्र कुछ ऐसा ही होता है
ReplyDeleteगरीब आदमी की साथ यही होता है।बहुत मार्मिक अभिवयक्ति है बधाई
ReplyDeleteमार्मिक!
ReplyDeleteएनकाउंटर से भाग पाया तो माफिया से भूना जाएगा
माओ के बच निकला तो खाप अदालत में नापा जाएगा
Uff ! Yah kaisa bhayawah manzar hai...
ReplyDeleteबडा बेशर्म है आम इंसान। मरता ही नहीं।
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील रचना....प्रतिदिन यही होता है
ReplyDeleteबहुत मार्मिक अभिवयक्ति है
ReplyDeleteसच्ची कविता..
ReplyDeleteपर आज फिर वह अनाहूत सा ज़िन्दा मिला,
ReplyDeleteफिर उसकी कोख में एक अधजला परिन्दा मिला, कोशिश जारी है
फिर से उसे मौत की घाट उतारने की,
--
सदियों से यही तो हो रहा है!
--
सदाबहार साहित्य स्रजन के लिए साधुवाद!
छायावाद में बहुत कुछ व्यक्त कर गये आप । कई लोगों के लिये कई संदेश, ब्लॉग को साहित्यिक उपहार ।
ReplyDeleteबेहद मार्मिक रचना।
ReplyDeleteआपका अभिप्रेत ..."आम आदमी" है न शायद इस कविता में ??
ReplyDeleteमहंगाई या रावण ...हर बार पहले से और अधिक बड़े ...
ReplyDeleteया फिर आम इंसान ...बार- बार मरने को अभिशप्त ..
संवेदनशील रचना ..!!
बहुत ऊंची सोच है वर्मा जी ।
ReplyDeleteबहुत खूब।
आ गया है ब्लॉग संकलन का नया अवतार: हमारीवाणी.कॉम
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग लिखने वाले लेखकों के लिए खुशखबरी!
ब्लॉग जगत के लिए हमारीवाणी नाम से एकदम नया और अद्भुत ब्लॉग संकलक बनकर तैयार है। इस ब्लॉग संकलक के द्वारा हिंदी ब्लॉग लेखन को एक नई सोच के साथ प्रोत्साहित करने के योजना है। इसमें सबसे अहम् बात तो यह है की यह ब्लॉग लेखकों का अपना ब्लॉग संकलक होगा।
अधिक पढने के लिए चटका लगाएँ:
http://hamarivani.blogspot.com
bahut sundar ,sachchi kavita
ReplyDeleteDil ko gaharayee tak chuu gayee apkee yah kavita.....
ReplyDeleteकितना कड़वा पर सच दिल को कुरेदता गया सोचने पर मजबूर करता गया
ReplyDeleteबहुत मार्मिक अभिवयक्ति है बधाई
सटीक और शानदार कविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मार्मिक कविता...
ReplyDeleteइस सुन्दर पोस्ट की चर्चा "चर्चा मंच" पर भी है!
ReplyDelete--
http://charchamanch.blogspot.com/2010/06/193.html
अंकल जी, बहुत दूर की बात लिख देते हो आप अपनी कविताओं में. हमेश पापा से पढवाना पड़ता है...पर है दमदार.
ReplyDelete________________
'पाखी की दुनिया' में 'पाखी का लैपटॉप' जरुर देखने आयें !!
आम आदमी हर रोज़ ही ऐसे मार दिया जाता है ... फिर भी आम आदमी बहुत जीवट है ... जिंदा रहता है ... अच्छी रचना है बहुत ही ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है!
ReplyDelete...प्रसंशनीय रचना !!!!
ReplyDeleteaam aadmi ki jindgi aur uski jivatTa par rachi ek sudrad kavita.
ReplyDeleteबहुत ही दर्दनाक अभिव्यक्ती । जो भी इस व्यवस्था के किलाफ आवाज उठायेगा एनकाउंटर में मारा जायेगा । पर एक का एनकाउंटर होगा तो फिर कोई दूसरा फिर तीसरा आता रहेगा लेकिन इक्के दुक्के से काम नही चलेगा हुजूम उठना चाहिये फिर कैसे दबायेंगे उसे फिर बदलेगी व्यवस्था ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और मार्मिक रचना ... पददलित गरीब इंसान इसी तरह कुचले जाते हैं ...
ReplyDeleteशुभकामनाओं के लिए धन्यवाद !
फिर उसकी कोख में
ReplyDeleteएक अधजला परिन्दा मिला...
क्या खूब कहा है....
आम आदमी आम की तरह है कच्चा है तो चटनी बनायीं जाएगी और पका है तो चूसा जायेगा.बेचारा क्या करे क्या न करे. सच्चाई बयाँ करती आपकी पोस्ट सराहनीय है.
ReplyDeleteवर्मा जी, अत्यन्त भावपूर्ण कविता लिखी आपने इससे पहले की पोस्ट भी मुझे बहुत अच्छी लगी थी और वैसे ही यह भी..धन्यवाद वर्मा जी
ReplyDeleteआम जन के दर्द की मार्मिक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता.
अब आपकी नई रचना का इंतजार.
ReplyDelete***************************
'पाखी की दुनिया' में इस बार 'कीचड़ फेंकने वाले ज्वालामुखी' !
bahut hi badhiya kavita .
ReplyDeleteबेहद मार्मिक रचना।
ReplyDeletebadhiya prastuti
ReplyDeleteक्षमताएं नष्ट हो रही हैं ! बितती हुई सदी की खूबसूरत कविता ! आभार !
ReplyDeleteपराजय ग़रीब के हाथ ही लगती है सदा
ReplyDeleteachchha lga aapke blog pg pahunchne ke baad . kitni sahi baat kahi hai aapne .
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ! शुभकामनायें भाई जी !
ReplyDeletebahut khoob likha hai.
ReplyDeletebahut khoob likha hai.
ReplyDeleteman mein utar gayi!
ReplyDeleteवाह.... इस बिजुका पर तो शायद किसी ने पहली बार कविता लिखी हो ......
ReplyDeleteआपकी लेखनी हमेशा अच्छा विषय पकडती है ....बहुत सुंदर ......!!
हाँ ...इस पंक्ति को पुन: देखें ......
मेरे समक्ष उगे फसलों को
फसल स्त्रीलिंग है.....
marmik abhivyakti.
ReplyDelete..badhai.
marmik abhivyakti.
ReplyDelete..badhai.
आज आपका ब्लॉग देखा...खजाना है
ReplyDeleteआज आपका ब्लॉग देखा...खजाना है
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