मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ
घर में दरार बा बाकी सब ठीक हौ
अबकी छुट्टी मिली त आइब जरूर
हम देत बाई तोहके जबान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
.
भोरहरी में उठे क आदत तूँ छोड़ा
मीठ बोल-बतिया से सबके तूँ जोड़ा
कब ले बितईबू तूँ दिन मड़ई में
लउटब त बनवाईब मकान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
.
गिरल बरधा भी उठ जाई हो अम्मा
भर-भर नाद सानी खाई हो अम्मा
सींग आ गयल होई अब त बछवा के
करवाई दीह ओकार नथान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
आज उम्र के इस पड़ाव पर माँ के आंचल मे सिर रखने की इच्छा हुई. मेरे लिये भोजपुरी माँ के आंचल से कम नहीं है.
औरी सब ठीक बा ...
ReplyDeleteमत कर जियरा हलकान अमा ...
ढेर दिन बाद ऐसन गीत पढले बानी ...
नीक बा ...!!
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ReplyDelete...बहुत सुन्दर, प्रभावशाली भाव, प्रसंशनीय रचना!!!
ReplyDeleteमत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
ReplyDeleteकाहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
चित्र बिल्कुल सही बोलता है!
छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव
जाने का का तो कह गईनी एतना में वर्मा जी ...बहुते गज़ब बा बहुते अजब बा ।
ReplyDeleteअजय कुमार झा
मन के भाव बहुत खूबसूरती से लिखे हैं....और भाषा की मिठास तो क्या कहिये...
ReplyDeleteमत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
ReplyDeleteकाहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ
घर में दरार बा बाकी सब ठीक हौ
...वाह, क्या बात है!
वर्मा जी ,
ReplyDeleteहिंदी में अनुवाद दे देते , कुछ समझ में आ गई कुछ छुट गई
वर्मा जी ये हुई दिल की आवाज़ अपनी घरेलू बोल चाल में अगर कविता हो तो बात ही क्या है..
ReplyDeleteऔर भावपूर्ण तो हमेशा की तरह जैसे आप की रचनाएँ होती है....सुंदर रचना के लिए बधाई हो बनारसी चाचा जी...प्रणाम
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.........
मन खुश हो गईल वर्मा जी.
ReplyDeleteऐसन कविता/गीत पढ़ के.
आपन बोली देसी भाव
बहुत बहुत बधाई.
मुझे भोजपुरी पूरी तरह से समझ में नहीं आती है ... इसलिए एक-दो पंक्ति नहीं समझ पाया ! पर ज्यादातर समझ पाया और अच्छा लगा ...
ReplyDeleteअंग्रेजी के ज़माने में भी भारतीय भाषायों में लिखी कविता की अपनी एक अलग सौंदर्य है ... और अपनी मातृभाषा तो हमें अपनी पहचान दिलाती है ... हमें उस मिटटी के सुगंध से अनबरत जोड़े रखती है, जिससे हमारा रिश्ता अगर कट जाये तो हम एक कटी पतंग से ज्यादा तो और कुछ नहीं !
वाह ऐसन गीत पहीले नही पॅडबे ना ..बहूत मजेदार बा ...
ReplyDeleteलाजवाब वर्म जी ... ये गीत कोई गेया सके तो और भी मजेदार लगेगा ...
वाह पढने में बहुत अच्छी लगी ...शुक्रिया
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
Verma ji,
ReplyDeletekhoob gaon ki sair kara dii.Badhai!!
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
काहें एतना हो गइलू परेशान अम्मा
छोटकी बेमार बा बाकी सब ठीक हौ
घर में दरार बा बाकी सब ठीक हौ
अबकी छुट्टी मिली त आइब जरूर
हम देत बाई तोहके जबान अम्मा
मत करा तूं जियरा हलकान अम्मा
भोजपुरी का सौन्दर्य इस रचना में बहुत सुन्दर रूप मे प्रस्तुत है ।
ReplyDeleteजी खुश हो गया भोजपुरी की रचना पढ़कर.
ReplyDeleteवाह वर्मा जी बहुत बढ़िया लगा भोजपुरी कविता! बड़े दिनों के बाद भोजपुरी कविता पढने को मिला! नए अंदाज़ में बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना प्रस्तुत किया है आपने जो सराहनीय है!
ReplyDeleteVERMA JI JWAAB NAHI AAPKA
ReplyDeleteभोजपुरी का सौन्दर्य इस रचना में बहुत सुन्दर रूप मे प्रस्तुत है ।
लोक-सम्पृक्त चेतना ऐसी मनोहारी रचना देती ही है !
ReplyDeleteभोजपुरी की इस रचना को प्रस्तुत कर मन जीत लिया आपने, मुरीद भी बनाया ! जितना सहज संवाद इस रचना में भोजपुरी में संभव था, इतना प्राकृतिक और सहज शायद संभव हो नहीं पाता किसी और भाँति !
प्रविष्टि का आभार ।
औरी सब ठीक बा ...
ReplyDeleteमत कर जियरा हलकान अमा ...
वाह....वाह.......
लोकभाषा का अपना ही स्वाद है........मिसरी की डाली की तरह...बस जबान पर रख लो.....मज़ा लेते रहो....!
भोजपुरी क्षेत्र में ही होने की वज़ह से यह रचना और भी आनंददायक लगी आभार.......
नमस्कार वर्मा जी ह्रदय की भावनाओं की जिस तरह आपने शब्द दिए हैं अदभुद है ,,,बहुत ही सुन्दर रचना गहरे तक छूती हुयी
ReplyDeleteसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
Verma sir, bahut deri se aane ke liye muafi chahta hoon. Kshetreeya bhasha ke roop me aapne jis tarah se bhojpuri jaisi samraddh boli ka ye geet, apne gaanv se door base vyakti ke dard ke sath likkha hai wo avismarneeya rahega.
ReplyDeletebahut pyara aur masoom sa geet maa k liye bahut acchha laga padh kar..ha.n ab tak me bhojpuri ko ek aasan bhasha samajhti thi..lekin aapki bhojpuri padh kar jana ki ye to hamare liye mushkil hai. halanki puri rachna samajh aa gayi he.
ReplyDeletebahut achche.
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