संस्कारित-सभ्यों के बीच आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
तेरे ठिठके मन चंचल में कितनी गलियां है बहुत प्यारा चित्रणशुभकामनायें
स्मित रेखा मंद हास की मुझको भी सिखला दो ...बहुत सुन्दर प्रेममयी रचना ....!!
अरे वाह ! सुनीत अंकुर आप ही हैं । वह समय था ही ऐसा .. ।
nice
premras se sarabor rachna. badhaai.
सुदर शीर्षक ....व प्रेममयी..... कविता.....
बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने!प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
एक खूबसूरत परिपक्व प्रेम गाथा।
Nafasat aur nazakat bhari rachana!
बेहतर...वैसे ‘अंकुर’ नाम अच्छा था ना....
वर्मा जी .... प्रेम की उन्मुक्त रचना ... बहुत ही मधुर एहसास लिए ... लाजवाब अभिव्यक्ति है ... स्मित रेखा मंद हास की ..... सचमुच नयनों की भाषा, मंद मंद हास लिए बहुत कुछ कह जाती है आपकी रचना की तरह ........
waah jiprem mein bheegi rachna sach mein man bhigo gayi.
वाह!आज तो नए अंदाज में हैं!खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.
बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह नजम
बहुत सुन्दर प्रेमरस मे सराबोर रचना बधाई
नयनों की भाषा दिल को छू गई। बेहद पसंद आई।
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वर्मा जी ,मन की गहराइयों ..से निकली उत्कृष्ट सुंदर रचना ...बधाई...
बहुत सुन्दर प्रेम रस से भरी कव्य रचना.....
मदमस्त रचना
वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें ! बहुत ही सुन्दर एहसास के साथ एक मधुर और प्रेम से भरी रचना लिखा है आपने! अत्यंत सुन्दर!
तेरे ठिठके मन चंचल में कितनी गलियां है खुबसूरत एहसासों से सजी प्रेम मयी कविता.
bahut hi pyaari lagi nayno ki bhasha ,inme saare jazbaat samaye hai .
varma ji , gazab dha diye ho is kavita ke dwara ... padhkar dil kahi kho gaya ...aapkavijay www.poemsofvijay.blogspot.com
बहुत प्यारा चित्रणबहुत अच्छी कविता
ahaaaaaa kitni meethi kavita haibahut khoobsurat
खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.
बहुत भावपूर्ण और सौंदर्य से ओत-प्रोत रचना....
तेरे ठिठके मन चंचल में कितनी गलियां है वाह!! अतिसुन्दर.
गहरे भावों के साथ सुन्दर अभिव्यक्ति ।
आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी.
क्या कहूँ......इतनी सुंदर रचना के उपयुक्त शब्द ढूँढना भी नयी रचना से कम नहीं...खूबसूरत..!!.
hello,aap ki rachnayen padhin bahut achhi lagin,fareef me kyaa kahun shabd nahi mere paas..
वाह ! आनंद आ गया, बेहतरीन भाव प्रदर्शन !
खूबसूरत रचना!आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
bahut pyaari kavita hai. padhte huye aisa laga jaise prasad ko padh rahi hoon,
तेरे ठिठके मन चंचल में
ReplyDeleteकितनी गलियां है
बहुत प्यारा चित्रण
शुभकामनायें
स्मित रेखा मंद हास की मुझको भी सिखला दो ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेममयी रचना ....!!
अरे वाह ! सुनीत अंकुर आप ही हैं । वह समय था ही ऐसा .. ।
ReplyDeletenice
ReplyDeletepremras se sarabor rachna. badhaai.
ReplyDeleteसुदर शीर्षक ....व प्रेममयी..... कविता.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने!
ReplyDeleteप्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!
एक खूबसूरत परिपक्व प्रेम गाथा।
ReplyDeleteNafasat aur nazakat bhari rachana!
ReplyDeleteबेहतर...
ReplyDeleteवैसे ‘अंकुर’ नाम अच्छा था ना....
वर्मा जी .... प्रेम की उन्मुक्त रचना ... बहुत ही मधुर एहसास लिए ... लाजवाब अभिव्यक्ति है ... स्मित रेखा मंद हास की ..... सचमुच नयनों की भाषा, मंद मंद हास लिए बहुत कुछ कह जाती है आपकी रचना की तरह ........
ReplyDeletewaah ji
ReplyDeleteprem mein bheegi rachna sach mein man bhigo gayi.
वाह!
ReplyDeleteआज तो नए अंदाज में हैं!
खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.
बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह नजम
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेमरस मे सराबोर रचना बधाई
ReplyDeleteनयनों की भाषा दिल को छू गई।
ReplyDeleteबेहद पसंद आई।
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ReplyDeleteवर्मा जी ,मन की गहराइयों ..से निकली उत्कृष्ट सुंदर रचना ...बधाई...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेम रस से भरी कव्य रचना.....
ReplyDeleteमदमस्त रचना
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteआज तो नए अंदाज में हैं!
खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.
वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर एहसास के साथ एक मधुर और प्रेम से भरी रचना लिखा है आपने! अत्यंत सुन्दर!
तेरे ठिठके मन चंचल में
ReplyDeleteकितनी गलियां है
खुबसूरत एहसासों से सजी प्रेम मयी कविता.
bahut hi pyaari lagi nayno ki bhasha ,inme saare jazbaat samaye hai .
ReplyDeletevarma ji , gazab dha diye ho is kavita ke dwara ... padhkar dil kahi kho gaya ...
ReplyDeleteaapka
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
बहुत प्यारा चित्रण
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता
ahaaaaaa kitni meethi kavita hai
ReplyDeletebahut khoobsurat
खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण और सौंदर्य से ओत-प्रोत रचना....
ReplyDeleteतेरे ठिठके मन चंचल में
ReplyDeleteकितनी गलियां है
वाह!! अतिसुन्दर.
गहरे भावों के साथ सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteक्या कहूँ......इतनी सुंदर रचना के उपयुक्त शब्द ढूँढना भी नयी रचना से कम नहीं...खूबसूरत..!!.
ReplyDeletehello,aap ki rachnayen padhin bahut achhi lagin,fareef me kyaa kahun shabd nahi mere paas..
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteआनंद आ गया, बेहतरीन भाव प्रदर्शन !
खूबसूरत रचना!
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
bahut pyaari kavita hai. padhte huye aisa laga jaise prasad ko padh rahi hoon,
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