Sunday, February 14, 2010

नयनों की भाषा ~~

 


यह रचना 1980 में लिखी थी जो मुक्ता पत्रिका (दिल्ली प्रेस) में प्रकाशित हुई थी. उस समय मैं सुनीत 'अंकुर'  नाम से लिखता था.

37 comments:

  1. तेरे ठिठके मन चंचल में
    कितनी गलियां है

    बहुत प्यारा चित्रण
    शुभकामनायें

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  2. स्मित रेखा मंद हास की मुझको भी सिखला दो ...
    बहुत सुन्दर प्रेममयी रचना ....!!

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  3. अरे वाह ! सुनीत अंकुर आप ही हैं । वह समय था ही ऐसा .. ।

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  4. सुदर शीर्षक ....व प्रेममयी..... कविता.....

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  5. बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने!
    प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!

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  6. एक खूबसूरत परिपक्व प्रेम गाथा।

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  7. Nafasat aur nazakat bhari rachana!

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  8. बेहतर...
    वैसे ‘अंकुर’ नाम अच्छा था ना....

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  9. वर्मा जी .... प्रेम की उन्मुक्त रचना ... बहुत ही मधुर एहसास लिए ... लाजवाब अभिव्यक्ति है ... स्मित रेखा मंद हास की ..... सचमुच नयनों की भाषा, मंद मंद हास लिए बहुत कुछ कह जाती है आपकी रचना की तरह ........

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  10. waah ji
    prem mein bheegi rachna sach mein man bhigo gayi.

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  11. वाह!
    आज तो नए अंदाज में हैं!
    खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.

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  12. बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह नजम

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  13. बहुत सुन्दर प्रेमरस मे सराबोर रचना बधाई

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  14. नयनों की भाषा दिल को छू गई।
    बेहद पसंद आई।

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  15. वर्मा जी ,मन की गहराइयों ..से निकली उत्कृष्ट सुंदर रचना ...बधाई...

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  16. बहुत सुन्दर प्रेम रस से भरी कव्य रचना.....

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  17. वाह!
    आज तो नए अंदाज में हैं!
    खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.

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  18. वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !
    बहुत ही सुन्दर एहसास के साथ एक मधुर और प्रेम से भरी रचना लिखा है आपने! अत्यंत सुन्दर!

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  19. तेरे ठिठके मन चंचल में
    कितनी गलियां है

    खुबसूरत एहसासों से सजी प्रेम मयी कविता.

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  20. bahut hi pyaari lagi nayno ki bhasha ,inme saare jazbaat samaye hai .

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  21. varma ji , gazab dha diye ho is kavita ke dwara ... padhkar dil kahi kho gaya ...

    aapka

    vijay
    www.poemsofvijay.blogspot.com

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  22. बहुत प्यारा चित्रण
    बहुत अच्छी कविता

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  23. ahaaaaaa kitni meethi kavita hai

    bahut khoobsurat

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  24. खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.

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  25. बहुत भावपूर्ण और सौंदर्य से ओत-प्रोत रचना....

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  26. तेरे ठिठके मन चंचल में
    कितनी गलियां है
    वाह!! अतिसुन्दर.

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  27. गहरे भावों के साथ सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  28. आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी.

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  29. क्या कहूँ......इतनी सुंदर रचना के उपयुक्त शब्द ढूँढना भी नयी रचना से कम नहीं...खूबसूरत..!!.

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  30. hello,aap ki rachnayen padhin bahut achhi lagin,fareef me kyaa kahun shabd nahi mere paas..

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  31. वाह !
    आनंद आ गया, बेहतरीन भाव प्रदर्शन !

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  32. खूबसूरत रचना!
    आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  33. bahut pyaari kavita hai. padhte huye aisa laga jaise prasad ko padh rahi hoon,

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