Friday, June 29, 2012

चिठिया लिख के पठावा हो अम्मा .. (भोजपुरी)


चिठिया लिख के पठावा हो अम्मा
गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा
हमरे मन में त बा बहुते सवाल
पहिले त तू बतावा आपन हाल
घुटना क दरद अब कईसन हौ 
अबकी तोहरा बदे ले आईब शाल
मन क बतिया त सुनावा हो अम्मा
गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा
टुबेलवा क पानी आयल की नाही
धनवा क बेहन रोपायल की नाही
झुराय गयल होई अबकी त पोखरी
परोरा* क खेतवा निरायल की नाही
अपने नजरिया से दिखावा हो अम्मा
गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा
छोटकी बछियवा बियायल त होई
पटीदारी में इन्नर* बटायल त होई
चरे जात होई इ त वरूणा* किनारे
मरचा से नज़र उतरायल त होई
मीठ बोल बचन से लुभावा हो अम्मा
गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा
बाबूजी से कह दा जल्दी हम आईब
ओनके हम अबकी दिल्ली ले आईब
खटेलन खेतवा में बरधा के जईसन
अबकी इहाँ हम इंडिया गेट घुमाईब
कटहर क तू अचार बनावा हो अम्मा
गऊंआ क तूं हाल बतावा हो अम्मा
 

परोरा = परवल
इन्नर = गाय के प्रथम दूध को जलाकर बनाया गया पदार्थ
वरूणा = हमारे गाँव से गुजरने वाली नदी
चित्र : साधिकार बिना आभार देवेन्द्र पाण्डेय (बेचैन आत्मा)

38 comments:

  1. वर-माँ का मिल जाय तो, जीवन सुफल कहाय |
    वर्मा जी की कवितई, दिल गहरे छू जाय |

    दिल गहरे छू जाय, खाय के इन्नर मीठा |
    रोप रहे हैं धान, चमकते बारिस दीठा |

    बापू को इस बार, घुमाना दिल्ली भैया |
    बरधा जस हलकान, मिले तब कहीं रुपैया ||

    ReplyDelete
  2. मार्मिक तड़प, उत्कृष्ट रचना ...
    यह दर्द अनुभव कराने के लिए आभार आपका वर्मा जी !

    ReplyDelete
  3. वर्मा जी,
    इस गीत ने गाँव ,बचपन और माँ की यादों को ताज़ा कर दिया !
    आभार !

    ReplyDelete
  4. बढ़िया रचना प्रस्तुति ...आभार

    ReplyDelete
  5. बीते बचपन की यादों को एवं मार्मिक तडप का अहसास कराती बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: बहुत बहुत आभार ,,

    ReplyDelete
  6. हर पंक्ति सटीक और प्यारी .....बधाई आप को लाजबाब ...
    धन्यवाद और आभार वर्मा जी !

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर ! यद्यपि भोजपुरी में लिखी है, फिर भी हिन्दी रचना जैसा रस दे रही है !

    ReplyDelete
  8. भावमय करते शब्‍दों का संगम ... उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति।

    ReplyDelete
  9. बाबूजी से कह दा जल्दी हम आईब

    ओनके हम अबकी दिल्ली ले आईब

    खटेलन खेतवा में बरधा के जईसन

    अबकी इहाँ हम इंडिया गेट घुमाईब

    कटहर क तू अचार बनावा हो अम्मा... बहुत प्यारी रचना

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर!
    याद रह जाती है ऐसी रचनायें और अनायास गुनगुना उठते हैं हम!

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर भाव लिए है गीत... वाह!
    सादर बधाई.

    ReplyDelete
  12. ''चिठिया लिख के पठावा ओ अम्मा
    गउवां का तू हाल बतावा हो अम्मा''
    भोजपुरी का आपका ये अंदाज कमाल का है ।
    अब का बतावै ,हमरा जियरा ता ओही जगह पहुंच गएल बा ।
    इतनी अच्छी कविता का अनुभव कराने के लिए आपका बहुत-2 आभार ।
    ''सुनीता जोशी ''

    ReplyDelete
  13. ''चिठिया लिख के पठावा ओ अम्मा
    गउवां का तू हाल बतावा हो अम्मा''
    भोजपुरी का आपका ये अंदाज कमाल का है ।
    अब का बतावै ,हमरा जियरा ता ओही जगह पहुंच गएल बा ।
    इतनी अच्छी कविता का अनुभव कराने के लिए आपका बहुत-2 आभार ।
    ''सुनीता जोशी ''

    ReplyDelete
  14. बड़ा नीक कविता लिखनी ह वर्मा भाई जी , साचो गौआं के याद आ गईल .
    कविता मा एको हाली अम्मा का हाल न पुछनी ह . त अब तनी अम्मा के हाल बतावा ए वर्मा भाई जी !

    ReplyDelete
  15. मन खुश हो गया इस भोजपुरी गीत को पढ़कर। मुझे यही सबसे अच्छा लगता है। मन के भावों को जैसा देखा, जैसा महसूस किया वैसे ही अभिव्यक्त कर देना। यही सच्ची कविता है।

    फोटू यहाँ देखकर खुशी हुई और इससे बढ़कर इस बात से खुशी हुई की आपने साधिकार इसे यहाँ लगा लिया।
    आभासी दुनियाँ से बड़े भाई जैसा प्रेम मिल जाय तो फिर और क्या चाहिए।
    ..आभार।

    ReplyDelete
  16. बहुत ही आत्मीय लगी यह पोस्ट।

    ReplyDelete
  17. वाह क्या बात है, बहुत खुबसूरत

    ReplyDelete
  18. बहुत बढ़िया....
    प्यारी सी रचना............

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  19. कटहर क तू अचार बनावा हो अम्मा*
    कटहर क अचार त हमरो बेटवा क बहुते भावेला ....
    राउर लिखल पढ़ी क जी निहाल हो गइल ....

    ReplyDelete
  20. बंधुवर वर्माजी आप की पसंद एवं प्रसंशा के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  21. सुंदर गीत.

    फोटो का साधिकार बिना आभार प्रयोग मजेदार लगा.

    आभार.

    ReplyDelete
  22. भोजपुरी में बनारसी बोली का पुट गाँव का चित्रण अत्यंत सुंदर बधाई हो ,

    मेरा भोजपुरी ब्लाग भी देखें .

    ReplyDelete
  23. बहुत सुन्दर रचना...
    भोजपुरी भाषा में क्या खूब लिखा है आपने...
    बहुत सुन्दर मनभावन रचना...
    :-)

    ReplyDelete
  24. इतना मीठा भोजपुरी..दर्द भी मीठा लग रहा है..

    ReplyDelete
  25. घर से दूर होने पर वहां की हर यादें बहुत तडपाती हैं...बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना..

    ReplyDelete
  26. आह बहुत ही भावपूर्ण उदगार -का कबहूँ गाँव गिराव में रहे हो का भैया ?
    इतना सटीक भाव त बिना गाँव में रहे न आयी ..
    धान क नर्सरी सुखात बा -इन्दर देव बेईमनवा पनिया न बरसावत हई

    ReplyDelete
  27. बड़ी सहजता से अपनी बात कह देतें हैं ,

    आप के सभी ब्लागों को देखा पढना अभी शेष है ,

    समय निकालकर पढूंगा .

    ReplyDelete
  28. कहीं गाँव से दूर बसने का दर्द। शुभकामनायें

    ReplyDelete
  29. अपनी भाषा को महसूस करके रोयें खड़े हो जाते हैं..

    ReplyDelete
  30. हाँ ,अब तो चिट्ठी से हाल जान कर ही संतोष करना पड़ेगा - कितनी दूर छूट गये अपने वे गाँव !

    ReplyDelete
  31. चिट्ठी का जमाना तो न जाने कुब का पीछे छुट गया ,अब फ़ोन पे ही गाँव के लोग भी अपना दुःख -सुख एक दुसरे से बताते है , मार्मिक मनोभाव से युक्त अच्छी कविता के लिए बहुत -बहुत साधुवाद ।

    ReplyDelete
  32. बहुत भावभीनी कविता । भोजपुरी होते हुए भी अच्छे से समझ में आ गई । अम्मा को तो भावुक होते देखा है अच्छी लगी बेटे की भावुकता ।

    ReplyDelete
  33. कैसी विवशता कि दिल्ली से गाँव इतनी दूर हो गया !

    ReplyDelete
  34. अत्यंत उच्च श्रेणी का जज्बा आपके लेखन की खासियत है ,प्रभावी रचना ।

    ReplyDelete
  35. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  36. nice post check my website http://afsaana.in/

    ReplyDelete
  37. This was a nice post. Thanks for sharing such types of posts. We would recommend you to go to

    afsaana for new stories. Thanks

    ReplyDelete