मेरा रहबर हर कदम पर मुझको पहाड़ देता है
सूरज के कहर से बचाने के लिए ताड़ देता है
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आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
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हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा
पता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है
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नयन नीर से सिंचित ज़ज्बाती इन पौधे को
देखा उसने जब भी जड़ से ही उखाड़ देता है
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कई बार मैं मरा हूँ उसके लफ़्ज़ों के नश्तर से
बेरहम कातिलों को भी वह तो पछाड़ देता है
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वारदात चहलकदमी करते हैं उसी के इशारे पर
मासूमियत से मगर हर बार पल्लू झाड़ देता है
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दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
उत्कृष्ट प्रस्तुति सर जी ||
ReplyDeleteदीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
ReplyDeleteइस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
बहुत ही सुंदर प्रस्तुतिके लिये,,,,बधाई बर्मा जी,,,,
MY RECENT POST:...काव्यान्जलि ...: यह स्वर्ण पंछी था कभी...
वाह क्या बात है उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहतरीन गजल ...
ReplyDeleteआशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
ReplyDeleteन जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा
पता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है
Waah !
आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
ReplyDeleteन जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
. बहुत बढ़िया गजल प्रस्तुति... आभार
वाह.............
ReplyDeleteबहुत खूब...
दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
लाजवाब गज़ल...
दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
ReplyDeleteइस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
वाह ! गहरी सोच . बढ़िया रचना .
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
isi ko to kahte hain kary-kaushal aur raajneeti.
ReplyDeleteदीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
ReplyDeleteइस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
वाह ... बहुत खूब ... गहन भाव संयोजित किये हैं आपने इस प्रस्तुति में ।
बहुत खूब!
ReplyDeleteमेरा रहबर हर कदम पर मुझको पहाड़ देता है
ReplyDeleteसूरज के कहर से बचाने के लिए ताड़ देता है
्शानदार गज़ल्……………हर शेर लाजवाब्।
रहबर ऐसा हो तो फिर क्या बात हो..उम्दा...
ReplyDeleteलाजवाब करते अशआर.... शानदार गजल...
ReplyDeleteसादर बधाई स्वीकारें.
बेहरतीन रचना..
ReplyDeleteहालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा
ReplyDeleteपता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है ..
very touching couplets...
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आशियाना बनाने में मशगूल जाने कितने छप्पर फाड़ देता है ...
ReplyDeleteसभी पंक्तियाँ लाजवाब हैं !
आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
ReplyDeleteन जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
बहुत ही बढ़िया.....
हालात बयाँ करने के लिए जब भी खत लिखा
ReplyDeleteपता देखकर बिना पढ़े बेरहमी से फाड़ देता है
... !!! इस स्थिति को कैसे सुलझाऊं मैं
दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
ReplyDeleteइस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
....बहुत खूब! लाज़वाब गज़ल....हरेक शेर बहुत उम्दा...
दीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
ReplyDeleteइस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
बेहतरीन गज़ल. और लफ्जों के नश्तर क्या बात है.
आशियाना बनाने में वह इस कदर मशगूल है
ReplyDeleteन जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है ...
ये तो आज जग की रीत हो गयी है ... अपना घर बनाते बनाते दूसरों का घर उजाड़ने की ...
बाहर ही खूबसूरत सजग शेर हैं सभी ...
वारदात चहलकदमी करते हैं उसी के इशारे पर
ReplyDeleteमासूमियत से मगर हर बार पल्लू झाड़ देता है
.खूबसूरत... जिन्दगी के मोड़
कई बार मैं मरा हूँ उसके लफ़्ज़ों के नश्तर से
ReplyDeleteबेरहम कातिलों को भी वह तो पछाड़ देता है
bahut khub
मुझे तो मक्ते का यह शेर लाज़वाब लगा...
ReplyDeleteदीवार कीमती है कहीं पलस्तर न उखड़ जाए
इस डर से वह मेरे जिस्म पर कीलें गाड़ देता है
वाह बहुत खूब अनुपम भाव संयोजन अंतिम पंक्तियों ने कमाल कर दिया....
ReplyDeletevery powerful verses..
ReplyDeletetotally in love with this one :)
#कई बार मैं मरा हूँ उसके लफ़्ज़ों के नश्तर से
बेरहम कातिलों को भी वह तो पछाड़ देता है
वारदात चहलकदमी करते हैं उसी के इशारे पर
ReplyDeleteमासूमियत से मगर हर बार पल्लू झाड़ देता है
sachmuch yahi ho raha hai...har sher umda..vartmaan jeewan ke ek ek baat ko khoobsurti se bayan kiya hai aapne..mere blog par bhee kabhi samay ho to aayiyega..sadar badhayee ke sath
बहुत अच्छा लगा पढकर।
ReplyDeleteसभी में सच का तीखापन बसा हुआ है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति....
ReplyDeletelajavab......prastuti......
ReplyDeleteWah -Wah
ReplyDeletekya likhun iske aage------behtreen gazal
sadar aabhaar
poonam
न जाने कितनों का वह छप्पर उजाड़ देता है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गजल प्रस्तुति... आभार
@ सतीश जी बुक के विमोचन पर आपसे मिल कर बहुत प्रसन्नता हुई !!!
ReplyDeletegajab likha hai
ReplyDeleteshubhkamnayen