मैं शांत और सरल
दिखना चाहता हूँ;
मैं एक प्रेम गीत
लिखना चाहता हूँ,
ऐसा भी नहीं कि
शब्द नहीं हैं मेरे पास
शब्दकोष से मैंने चुन रखा है
स्पर्श, आलिंगन
और मनुहार जैसे शब्द,
जो प्रेमगीत में अवगुंठित हो
निश्चय ही,
करेंगे सबको निःशब्द.
पर इससे पहले कि
मैं कुछ लिख पाऊँ
सहसा दिख जाते हैं
दम तोडते हुए संस्कार;
चलती कार में
बलत्कृत हुई अभागी की
सुन लेता हूँ चीत्कार;
अनाचार, व्यभिचार
और फिर इन सबके बीच
दिख जाता है
आम आदमी लाचार.
.
और फिर मैं
संचित शब्दों का पलायन
भी सह जाता हूँ
किसी तिलिस्म सा
‘प्रेम गीत’ का सहसा
‘शोक गीत’ में तब्दील होते
देखता रह जाता हूँ
.
पर आज भी,
मैं एक प्रेम गीत
लिखना चाहता हूँ.
32 comments:
चाहने से तो ऐसी ही कविता बन जाती है। प्रेम गीत लिखने के लिए दिल में प्रेम का दरिया बहाना पड़ेगा सर जी:)
जो शब्द शब्कोष में हैं , उनसे कहीं ऊपर होता है प्रेम ... आँखों से उमड़ता है , लिखकर भी अधूरा होता है ...
और उसके बाद हिम्मत की घरघराती साँसें , वर्तमान के हश्र के आगे ...
समझ सकती हूँ इस मुश्किल से जूझती चाह को
मैं एक प्रेम गीत लिखना चाहता हूँ
आँधियों में चिराग जलाना चाहता हूँ ।
लेकिन तूफां है तेज और लौ मध्यम
सूखे तिलों से तेल चुराना चाहता हूँ ।
बहुत डरावने हालात हैं । अख़बार पढ़कर यही भाव आते हैं ।
बढ़िया कविताई ।
घटनाएँ मन को उद्वेलित कर देती हैं ...प्रेम की जगह वीभत्स दृश्य दिखते हैं .... सामाजिक सरोकार से जुड़ी रचना अच्छी लगी
काश हर कोई एक प्रेम गीत लिखने कि मन में ठान ले कही कोई शोक गीत न हो बस प्रेम और प्रेम गीत.बेहतरीन प्रशंसनीय प्रस्तुति
बस आपकी नयी कविता पढ़ ही रही थी अभी...
बहुत सुन्दर शब्दों में अदभुत भावों को ढला है आपने
निसंदेह किसी भी स्तिथि में किसी भी क्षण में सृष्टि का विनाश हो की सृजन
"मैं एक प्रेम गीत
लिखना चाहता हूँ :)"
प्रेम में जितना डूबता हूँ, उतना सरल होता जाता हूँ।
समाज में व्याप्त कुटिलताएं और क्रूरता हमें हमारे मन का करने नहीं देतीं, य हम कर ही नहीं पाते।
बढ़िया कविता
आसान नहीं है प्रेम गीत लिखना...........
अंधा और बहरा होना पड़ेगा...और दिमाग से पंगु....
सादर
अनु
आसान नहीं है प्रेम गीत लिखना...........
अंधा और बहरा होना पड़ेगा...और दिमाग से पंगु....
सादर
अनु
antas ki vedna ka mano kaccha chittha ho ye prastuti...sach aisa hi hota hai kayi bar hamare aur hamari lekhni ke beech aisa hi dwand chalta hai...
आज के हालातों को मध्य नज़र रखते हुए लिखी गयी बहुत ही सार्थक एवं सटीक रचना... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
"मैं एक प्रेम गीत
लिखना चाहता हूँ :)"
बहुत ही खूबसूरत रचना..आभार वर्मा जी
दुनिया में हमेशा अंधेरा उजाले पर हावी रहा है। फिर भी कवि-मन उजाले की तलाश में ही रहता है।जीवन की परिस्थितियां प्रेम-गीत को शोक-गीत में बदलने का प्रयास करती रही हैं।
अच्छी कविता।
bahut sundar rachna bahut achche bhaav aas paas ki samvedansheel ghatnaaon ka aavaran chadh jaata hai aur bhaavnayen simat kar rah jaati hain.
nice
मानसिक और आत्मिक द्वंद का बेहतरीन चित्रण किया है।
मानसिक और आत्मिक द्वंद का बेहतरीन चित्रण किया है।
बेहतरीन भाव संयोजन लिए उत्कृष्ट अभिव्यक्ति ।
कल 25/04/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... मैं तबसे सोच रही हूँ ...
प्रेम गीत...काश कि वेदना रहित हो!..बहुत सुन्दर भावोक्ति!....आभार!
बहुत बढ़िया रचना ... आभार
WAAH sir bahut hi khoob likha hai
wakai mein premgeet likhna shayd kafi kathin hai..
एक कवि का अंतर्द्वंद दर्शाती ....मार्मिक प्रस्तुति ...सुन्दर !
भावनाएं ही तो कवि की पतवार हैं ...पता नहीं कब किस और बहा ले जायें .....
बहुत बढ़िया सर!
सादर
मन के अंतर्द्वंद का बहुत ही सार्थक चिंतन ..
बहुत सुन्दर रचना
कड़वे अहसास की कविता -सचमुच नहीं लिखा जा सकता अब एक सहज सुन्दर प्रेमगीत
मुश्किल बहुत है जलती चिताओं से धुंआ धुंआ हुई आँखों में बसना प्रेम का ....मगर करना होगा ...
कुछ तो कम होंगी खलिशें !
निःशब्द...
एक नयी पोस्ट चिट्ठे पर पोस्ट की है :)
is duniya me prem par prem geet likho ya aisa prem geet likho kee duniya ko prem ho jaaye...iswahr aapke prem geet likhne kee khwaish ko abilamb poora kare..sadar badahayee ke sath
Great post. Check my website on hindi stories at http://afsaana.in/ . Thanks!
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