चेहरे इतने पीले क्यूं हैं ?
नयन कोर गीले क्यूं हैं ?
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माना अपनी मौत मरे हैं
इनके शरीर नीले क्यूं हैं ?
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तुम जहां जश्न मना रहे
आसमान में चीलें क्यूं हैं ?
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जो राह मुहैया की तुमने
वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
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शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
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गमगीनी के इस मंजर में
आप इतने रंगीले क्यूं हैं ?
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संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
44 comments:
संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
बहुत खूब क्या बात है सोलह आने सही, मुबारक हो
तीखे अनुत्तरित प्रश्न करती प्रभावी ग़ज़ल...
सादर.
तुम जहां जश्न मना रहे
आसमान में चीलें क्यूं हैं ?
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जो राह मुहैया की तुमने
वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
Lazabaab sir ji, bahut sundar !
वाह!!!!!
बेहतरीन............
चंद शब्दों में इतने गहरे जज़्बात और वो भी इतनी खूबसूरती के साथ....
पढ़ते ही गहरे उतर गयीं...
सादर
अनु
बहुत कुछ कहा संजीदगी से ...
शब्द बड़े मीठे लगते पर मन इतने ज़हरीले क्यों हैं !
जो राह मुहैया की तुमने
वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
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शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
गहन बात कहती सुंदर गजल ...
तुम जहां जश्न मना रहे
आसमान में चीलें क्यूं हैं ?
संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
आज के प्रश्न और उत्तर दोनो ही बताती है आपकी ये भढिया गज़ल । बेहतरीन ।
शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
paradox bayan karti sunder rachna ...!!
वाह ! बहुत सुन्दर सवाल उठाये हैं .
बेहतरीन ग़ज़ल .
शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ...
बहुत खूब वर्मा जी ... छोटी बहर में तीखे बाण चलाये हैं आपने ... हर शेर कटाक्ष करता हुवा ... लाजवाब ...
संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
छोटी बह्र की बड़ी ग़ज़ल .,नौचती हुए मुखोटे
अब सावन भी सूखे क्यों हैं .
संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
Wah!
वाह! किसी एक शेर का जिक्र किया नही जायेगा। सम्पूर्ण गज़ल प्रभावशाली है।
expression has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":
वाह!!!!!
बेहतरीन............
चंद शब्दों में इतने गहरे जज़्बात और वो भी इतनी खूबसूरती के साथ....
पढ़ते ही गहरे उतर गयीं...
सादर
अनु
Anupama Tripathi has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":
शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
paradox bayan karti sunder rachna ...!!
डॉ टी एस दराल has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":
वाह ! बहुत सुन्दर सवाल उठाये हैं .
बेहतरीन ग़ज़ल .
दिगम्बर नासवा has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":
शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ...
बहुत खूब वर्मा जी ... छोटी बहर में तीखे बाण चलाये हैं आपने ... हर शेर कटाक्ष करता हुवा ... लाजवाब ...
सुनीता शानू has left a new comment on your post "नयन कोर गीले क्यूं हैं ! !":
वाह! किसी एक शेर का जिक्र किया नही जायेगा। सम्पूर्ण गज़ल प्रभावशाली है।
हर मन कबीलाई है,
नियति जंगल में उतर आयी है।
नहीं कोई यहाँ युधिष्ठिर
यक्ष प्रश्न इत्ते क्यूँ हैं?
जो राह मुहैया की तुमने
वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
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शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
छोटी बहर में गजल कही है
लफ्ज इतने दर्दीले क्यूँ हैं ?
बहुत खूबसूरत गजल
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 29-०३ -2012 को यहाँ भी है
.... नयी पुरानी हलचल में ........सब नया नया है
ab in aadamkhor kabeelo ka raajy hoga to yahi sab hoga na.
अंतर की भावों को प्रश्नों के पटल पर उतारती सुन्दर रचना.
पहली बार आना हुआ.. अच्छा लगा!
सादर
लाजवाब करते प्रश्न और उत्तर कि तलाश मे जिंदगी...बहुत हीं बढ़िया...
Double-faced लोगों पर एक गहरा प्रहार करती रचना .....बहुत प्रभावपूर्ण !!!!!
chhoti bahar ki ghazal anuttarit vyangbaano ki bauchhar...bahut bahut umda.
बहुत खूब सर!
सादर
संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
वाह ...बहुत ही बढि़या।
सुन्दर !
शांति सन्देशा लेकर आये
नज़रों में पर कीलें क्यूं हैं ?
Bahut khoobsoorat alfaz hain ! bahut hi sundar ! vaah !
जो राह मुहैया की तुमने
वे इतने पथरीले क्यूं हैं ?
tikhe lekin LAJAWAB.
संस्कारित-सभ्यों के बीच
आदमखोर कबीले क्यूं हैं ?
तीखे प्रश्न उठाती लाज़वाब प्रस्तुति..आभार
लाजवाब रचना
ग़ज़ल के कई शे’र बदलते वक़्त की तस्वीर पेश करते हैं।
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
क्यूं हैं..अनुत्तरित क्यूं हैं ?प्रभावशाली ..
उद्देलित कर देती हुई गजल.....
निश्चित ही सराहनीय
छोटी बहर की बहुत सुंदर ग़ज़ल पढ़ने को मिली.. शुक्रिया
chote meter me likhi gayee ek aaur behtarin ghazal...pahli rachna padhi..phir doosri..wakai shandaar likhte hai aap...punah dher sari badhayiyo ke sath
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