Tuesday, May 10, 2011

अपना जिस्म लहुलुहान रखते हैं .....

जेबों में अपने हर सामान रखते हैं
दिल में ये लोग तो दुकान रखते हैं
.
शातिर मंसूबों का ज़ायजा क्या लेंगे
दुश्मनों के लिए भी गुणगान रखते हैं
.
बिखर कर भी जुड़ जाते है पल में
जिस्म में अपने सख्तजान रखते है
.
मुआवजें जब शिनाख़्त पर होते हैं
वे अपना जिस्म लहुलुहान रखते हैं

.
टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
.
सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे
राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं
.
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं

37 comments:

  1. बड़ा ही दमदार वक्तव्य।

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  2. बेहद उम्दा। शानदार।

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  3. टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान

    वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
    हरेक शे’र उम्दा। सोचने को विवश करता हुआ।

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  4. सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे

    राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं

    .

    वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों

    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
    Kya chuninda alfaaz hain! Maza aa gaya!

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  5. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं

    कलयुगी संसार की सच्चाई ।
    बहुत सुन्दर रचना ।

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  6. एक से एक गज़ब शेर निकाले हैं, वाह!!!

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  7. हर जुर्म के बाद अनुष्ठान रखते हैं ...
    पाप धोना इतना आसान जो होता है ...
    हर शेर लाजवाब !

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  8. टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
    वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं

    वाह, बहुत सही बात कही आपने.

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  9. बहुत अच्छी रचना हर पँक्ति आज का सच।

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  10. बहुत ही गज़ब की गज़ल्…………हर शेर सोचने को मजबूर करता है।

    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  11. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों

    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं

    वाह ...वाह....वाह...

    एक से बढ़कर एक शेर गढ़े आपने.....बहुत ही सुन्दर रचना...

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  12. बहुत ही लाजवाब ... हर शेर कुछ प्रश्न खड़े कर रहा है ...

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  13. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं...

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  14. बेहतरीन..

    टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
    वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
    ..वाह!

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  15. जेबों में अपने हर सामान रखते हैं

    दिल में ये लोग तो दुकान रखते हैं

    ....
    लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर एक सटीक टिप्पणी..

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  16. कितने गहरे भाव छुपा रखे है आपने बस कुछ पंक्तियों में...बहुत सुंदर...धन्यवाद।

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  17. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों

    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं


    बहुत खूब ...पूरी गज़ल ही बहुत कुछ कह गयी

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  18. हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
    वाह... बेहद उम्दा

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  19. सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं .
    वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
    .... yahi bekhauf manjer aam aadimi ka jeena muhal kar deta hai...
    ..samvedansheel, chintansheel prastuti ke liye aabhar

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  20. खुबसूरत ग़जल मुबारक हो ...

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  21. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों

    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं

    पूरी गज़ल ही बहुत खूबसूरत

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  22. सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे
    राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं

    बहुत खूब वर्मा जी ! शुभकामनायें आपको !!

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  23. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों

    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
    kya kahen lajavab sher hai .hakikat bayan karta
    badhai
    rachana

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  24. वाह !
    एक अनुष्ठान में चलिए हम भी शामिल होलें :)

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  25. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ! लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!

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  26. सुन्दर रचना

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  27. वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ।

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  28. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं

    बहुत खूब....

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  29. दिखने में फरिश्ते

    बेचने निकले हैं

    किस्तों में रिश्ते... rishte bhi ho chale saste

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  30. बड़ा ही दमदार वक्तव्य। धन्यवाद|

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  31. अच्छी अभिव्यक्ति .....आभार !

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  32. janmadin kee bahut bahut badhaai, shubhakaamanaayen|

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  33. गज़ब शेर ..उम्दा प्रभाव..लाजवाब

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  34. वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों

    हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
    लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर एक सटीक टिप्पणी.

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  35. "AB SOORAJ KO ROSHNI KYA DIKHAAYE JANAAB.....
    AAP TO PAHLE HI UNCHA NAAM RAKHTE HAIN...."

    BEHTARIN.......BEMISHAAL H JANAAB...




    REGARDS
    NAVEEN SOLANKI
    http://drnaveenkumarsolanki.blogspot.com/

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