जेबों में अपने हर सामान रखते हैं
दिल में ये लोग तो दुकान रखते हैं
.
शातिर मंसूबों का ज़ायजा क्या लेंगे
दुश्मनों के लिए भी गुणगान रखते हैं
.
बिखर कर भी जुड़ जाते है पल में
जिस्म में अपने सख्तजान रखते है
.
मुआवजें जब शिनाख़्त पर होते हैं
वे अपना जिस्म लहुलुहान रखते हैं
.
टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
.
सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे
राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं
.
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
दिल में ये लोग तो दुकान रखते हैं
.
शातिर मंसूबों का ज़ायजा क्या लेंगे
दुश्मनों के लिए भी गुणगान रखते हैं
.
बिखर कर भी जुड़ जाते है पल में
जिस्म में अपने सख्तजान रखते है
.
मुआवजें जब शिनाख़्त पर होते हैं
वे अपना जिस्म लहुलुहान रखते हैं
.
टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
.
सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे
राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं
.
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
bahut badhiya..kya baat hai!
ReplyDeleteबड़ा ही दमदार वक्तव्य।
ReplyDeleteबेहद उम्दा। शानदार।
ReplyDeleteटिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
ReplyDeleteवे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
हरेक शे’र उम्दा। सोचने को विवश करता हुआ।
सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे
ReplyDeleteराहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं
.
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
Kya chuninda alfaaz hain! Maza aa gaya!
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
कलयुगी संसार की सच्चाई ।
बहुत सुन्दर रचना ।
एक से एक गज़ब शेर निकाले हैं, वाह!!!
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद अनुष्ठान रखते हैं ...
ReplyDeleteपाप धोना इतना आसान जो होता है ...
हर शेर लाजवाब !
टिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
ReplyDeleteवे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
वाह, बहुत सही बात कही आपने.
बहुत अच्छी रचना हर पँक्ति आज का सच।
ReplyDeleteबहुत ही गज़ब की गज़ल्…………हर शेर सोचने को मजबूर करता है।
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
वाह ...वाह....वाह...
एक से बढ़कर एक शेर गढ़े आपने.....बहुत ही सुन्दर रचना...
बहुत ही लाजवाब ... हर शेर कुछ प्रश्न खड़े कर रहा है ...
ReplyDeleteवे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं...
बेहतरीन..
ReplyDeleteटिकेंगे भी भला कैसे हल्फिया बयान
वे बहुत ऊँची जान-पहचान रखते हैं
..वाह!
जेबों में अपने हर सामान रखते हैं
ReplyDeleteदिल में ये लोग तो दुकान रखते हैं
....
लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर एक सटीक टिप्पणी..
कितने गहरे भाव छुपा रखे है आपने बस कुछ पंक्तियों में...बहुत सुंदर...धन्यवाद।
ReplyDeleteवे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
बहुत खूब ...पूरी गज़ल ही बहुत कुछ कह गयी
हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
ReplyDeleteवाह... बेहद उम्दा
सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे राहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं .
ReplyDeleteवे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों हर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
.... yahi bekhauf manjer aam aadimi ka jeena muhal kar deta hai...
..samvedansheel, chintansheel prastuti ke liye aabhar
खुबसूरत ग़जल मुबारक हो ...
ReplyDeleteवे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
पूरी गज़ल ही बहुत खूबसूरत
सफर अंजाम पाये भी तो भला कैसे
ReplyDeleteराहगीरों के सामने वे तूफान रखते हैं
बहुत खूब वर्मा जी ! शुभकामनायें आपको !!
वे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
kya kahen lajavab sher hai .hakikat bayan karta
badhai
rachana
वाह !
ReplyDeleteएक अनुष्ठान में चलिए हम भी शामिल होलें :)
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ! लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह ... बहुत खूब कहा है आपने ।
ReplyDeleteवे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
बहुत खूब....
दिखने में फरिश्ते
ReplyDeleteबेचने निकले हैं
किस्तों में रिश्ते... rishte bhi ho chale saste
बड़ा ही दमदार वक्तव्य। धन्यवाद|
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति .....आभार !
ReplyDeletejanmadin kee bahut bahut badhaai, shubhakaamanaayen|
ReplyDeleteगज़ब शेर ..उम्दा प्रभाव..लाजवाब
ReplyDeleteवे बेखौफ़ न हो तो भला क्यूँ न हों
ReplyDeleteहर जुर्म के बाद वे अनुष्ठान रखते हैं
लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर एक सटीक टिप्पणी.
http://shayaridays.blogspot.com
ReplyDelete"AB SOORAJ KO ROSHNI KYA DIKHAAYE JANAAB.....
ReplyDeleteAAP TO PAHLE HI UNCHA NAAM RAKHTE HAIN...."
BEHTARIN.......BEMISHAAL H JANAAB...
REGARDS
NAVEEN SOLANKI
http://drnaveenkumarsolanki.blogspot.com/