Thursday, October 28, 2010

आग अभी बाकी है ~~


छुड़ाते रहे ताउम्र मगर दाग अभी बाकी है

मुतमईन होकर न बैठो आग अभी बाकी है


बुलबुले जितने थे सब के सब फूट गये है

सुगबुगाहट है अभी कि झाग अभी बाकी है


बेशक ओढ़ लो तुम अज़नबियत का चोला

नज़रें कह रही है कि अनुराग अभी बाकी है


दावा करते रहे कोई विषधर अब नहीं बचा

एहसास को डसने वाला नाग अभी बाकी है


अमावस का अन्धेरा है, अवसादों का डेरा है

अन्धेरे से लड़ता एक चिराग अभी बाकी है


यूँ तो मुरझा गया है मसला हुआ ये फूल

सुगन्ध ने बताया कि पराग अभी बाकी है


गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो

अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

46 comments:

  1. अमावस का अन्धेरा है, अवसादों का डेरा है
    अन्धेरे से लड़ता एक चिराग अभी बाकी है .
    अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    राजभाषा हिंदी पर ये अंधेरों में लिखे हैं गीत
    आँच-41पर डॉ. जे.पी. तिवारी की कविता तन सावित्री मन नचिकेता

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  2. छुड़ाते रहे ताउम्र मगर दाग अभी बाकी है मुतमईन होकर न बैठो आग अभी बाकी है

    गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो
    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है
    ...मतला और मक्ता तो याद करने और गाहे बगाहे दोस्तों में सुनाकर वाह वाही लूटने लायक है।
    ..सुंदर गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।

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  3. गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो

    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है


    ......बहुत खूबसूरत रचना ... हर शेर में जीने की आस नज़र आती है ...आभार

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  4. बहुत ही अच्छे शेर मजा आ गया

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  5. इतनी लडाइयां देख कर भी नासमझ वो,
    कहते फिरते की शंखनाद अभी बाकी है ...

    अच्छा रचना, लखते रहिये ...

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  6. ्बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति……………हर शेर लाजवाब्।

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  7. बेशक ओढ़ लो तुम अज़नबियत का चोला

    नज़रें कह रही है कि अनुराग अभी बाकी है

    यह बहुत अच्छा लगा...

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  8. गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो

    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

    Kya baat kahee hai! Waise pooree rachana hee gazab kee hai!

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  9. दावा करते रहे कोई विषधर अब नहीं बचा

    एहसास को डसने वाला नाग अभी बाकी है

    .
    अमावस का अन्धेरा है, अवसादों का डेरा है

    अन्धेरे से लड़ता एक चिराग अभी बाकी है.

    खूबसूरत गज़ल ....हर शेर में आग अभी बाकी है

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  10. बहुत सुन्दर!
    --
    ...
    तेरे सीने में सही या मेरे सीने में सही,
    है अगर वो आग तो फिर आग जलनी चाहिए!

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  11. दावा करते रहे कोई विषधर अब नहीं बचा

    एहसास को डसने वाला नाग अभी बाकी है

    .bejod

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  12. दावा करते रहे कोई विषधर अब नहीं बचा

    एहसास को डसने वाला नाग अभी बाकी

    क्या खूब कहा है वाह..

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  13. चोर तो चले गये, सुराग अभी बाकी है।

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  14. बेशक ओढ़ लो तुम अज़नबियत का चोला

    नज़रें कह रही है कि अनुराग अभी बाकी है...

    बहुत सुन्दर गज़ल..प्रत्येक शेर लाजवाब...

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  15. गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो
    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

    बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियां, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई ।

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  16. बेशक ओढ़ लो तुम अज़नबियत का चोला
    नज़रें कह रही है कि अनुराग अभी बाकी है

    बहुत पसंद आया यह ...

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  17. यूँ तो मुरझा गया है मसला हुआ ये फूल
    सुगन्ध ने बताया कि पराग अभी बाकी है

    वाह क्या बात कही है आपने

    ---------------
    क्यूँ झगडा होता है ?

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  18. वाह ... बहुत खूब

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  19. वाह...वाह...वाह !!!

    एक से बढ़कर एक शेर...सभी दिल में उतरने वाले...

    बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल लिखी है आपने..

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  20. खूबसूरत गज़ल. बधाई स्वीकार करें

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  21. अमावस का अन्धेरा है, अवसादों का डेरा है
    अन्धेरे से लड़ता एक चिराग अभी बाकी है .
    बहुत खूबसूरत रचना ...
    सुंदर गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।

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  22. यूँ तो मुरझा गया है मसला हुआ ये फूल

    सुगन्ध ने बताया कि पराग अभी बाकी है

    .

    गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो

    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

    अहसास से भरी रचना .....बहुत सुन्दर

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  23. गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो

    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

    बहुत सही कहा आपने!

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  24. देखा जो हमने आपकी ग़ज़ल का जो ये सुन्दर फूल ,
    देखने के लिए ब्लॉग में आपकी बाग़ अभी बाकी है|

    एक एक शेर उम्दा - बेहद पसंद आया -
    गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो
    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

    आपकी ये ग़ज़ल चर्चामंच पर आज होगी | धन्यवाद

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  25. देखा जो हमने आपकी ग़ज़ल का ज ये सुन्दर फूल ,
    देखने के लिए ब्लॉग में आपकी बाग़ अभी बाकी है|

    एक एक शेर उम्दा - बेहद पसंद आया -
    गफ़लत है जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो
    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है

    आपकी ये ग़ज़ल चर्चामंच पर आज होगी | धन्यवाद

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  26. जो खुद को फ़कीर मान बैठे हो
    अंतस के अहं का परित्याग अभी बाकी है
    बहुत खूबसूरत रचना.......

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  27. बेशक ओढ़ लो तुम अज़नबियत का चोला
    नज़रें कह रही है कि अनुराग अभी बाकी

    वाह , वाह , बहुत खूबसूरत अल्फाज़ ।
    बढ़िया ग़ज़ल लेकर आये हैं वर्मा जी ।

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  28. बुलबुले जितने थे सब के सब फूट गये है
    सुगबुगाहट है अभी कि झाग अभी बाकी है.

    वर्मा जी क्या बेहतरीन शेर कहे हैं आपने...बहुत बढ़िया ग़ज़ल पढ़ी आपने..बधाई स्वीकारें

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  29. बेहतरीन ग़ज़ल...
    आग अभी बाकी है...

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  30. शुक्रिया महावीर जी ,
    बहुत दिनों बाद आपको पढ़ा लेकिन कुछ -कुछ ,बहुत कुछ पढ़ना ''अभी बाक़ि'' है .

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  31. वाह! बहुत सुन्दर।

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  32. दावा करते रहे कोई विषधर अब नहीं बचा

    एहसास को डसने वाला नाग अभी बाकी है

    .

    bas itna hee kahuga..aag abhee bakee hai

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  33. छुड़ाते रहे ताउम्र मगर दाग अभी बाकी है मुतमईन
    होकर न बैठो आग अभी बाकी है

    बेशक ओढ़ लो तुम अज़नबियत का चोला नज़रें कह रही है कि अनुराग अभी बाकी है

    जहाँ एक तरफ कुछ बाते निराशा का अवलोकन करती हैं वहीँ कुछ सोचें उम्मीद के रंग भारती हैं.

    सुंदर नज़्म.

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  34. अंतस के अहंकार का परित्याग अभी बाकी है । बहुत सुंदर । सोचने को समझने को बहुत कुछ है इस गज़ल में ।

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  35. बहुत सुंदर रचना धन्यवाद

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  36. दीवाली की शुभकामनाएं स्वीकार करें

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  37. लाजवाब्......बहुत खूबसूरत रचना...

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  38. ज्योति पर्व के अवसर पर आप सभी को लोकसंघर्ष परिवार की तरफ हार्दिक शुभकामनाएं।

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  39. खूबसूरत गज़ल. बधाई स्वीकार करें

    जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  40. खूबसूरत गज़ल. बधाई स्वीकार करें

    जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  41. अमावस का अन्धेरा है, अवसादों का डेरा है
    अन्धेरे से लड़ता एक चिराग अभी बाकी है .
    बहुत अच्छी गज़ल। बधाई आपको।

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