Sunday, February 14, 2010

नयनों की भाषा ~~

 


यह रचना 1980 में लिखी थी जो मुक्ता पत्रिका (दिल्ली प्रेस) में प्रकाशित हुई थी. उस समय मैं सुनीत 'अंकुर'  नाम से लिखता था.

37 comments:

गीतिका वेदिका said...

तेरे ठिठके मन चंचल में
कितनी गलियां है

बहुत प्यारा चित्रण
शुभकामनायें

वाणी गीत said...

स्मित रेखा मंद हास की मुझको भी सिखला दो ...
बहुत सुन्दर प्रेममयी रचना ....!!

शरद कोकास said...

अरे वाह ! सुनीत अंकुर आप ही हैं । वह समय था ही ऐसा .. ।

Randhir Singh Suman said...

nice

Yogesh Verma Swapn said...

premras se sarabor rachna. badhaai.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सुदर शीर्षक ....व प्रेममयी..... कविता.....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने!
प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!

डॉ टी एस दराल said...

एक खूबसूरत परिपक्व प्रेम गाथा।

kshama said...

Nafasat aur nazakat bhari rachana!

रवि कुमार रावतभाटा said...

बेहतर...
वैसे ‘अंकुर’ नाम अच्छा था ना....

दिगम्बर नासवा said...

वर्मा जी .... प्रेम की उन्मुक्त रचना ... बहुत ही मधुर एहसास लिए ... लाजवाब अभिव्यक्ति है ... स्मित रेखा मंद हास की ..... सचमुच नयनों की भाषा, मंद मंद हास लिए बहुत कुछ कह जाती है आपकी रचना की तरह ........

vandana gupta said...

waah ji
prem mein bheegi rachna sach mein man bhigo gayi.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह!
आज तो नए अंदाज में हैं!
खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर भाव लिये है आप की यह नजम

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर प्रेमरस मे सराबोर रचना बधाई

मनोज कुमार said...

नयनों की भाषा दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...
This comment has been removed by the author.
कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 said...

वर्मा जी ,मन की गहराइयों ..से निकली उत्कृष्ट सुंदर रचना ...बधाई...

Jyoti said...

बहुत सुन्दर प्रेम रस से भरी कव्य रचना.....

अजय कुमार said...

मदमस्त रचना

Unknown said...

वाह!
आज तो नए अंदाज में हैं!
खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.

Urmi said...

वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !
बहुत ही सुन्दर एहसास के साथ एक मधुर और प्रेम से भरी रचना लिखा है आपने! अत्यंत सुन्दर!

shikha varshney said...

तेरे ठिठके मन चंचल में
कितनी गलियां है

खुबसूरत एहसासों से सजी प्रेम मयी कविता.

ज्योति सिंह said...

bahut hi pyaari lagi nayno ki bhasha ,inme saare jazbaat samaye hai .

vijay kumar sappatti said...

varma ji , gazab dha diye ho is kavita ke dwara ... padhkar dil kahi kho gaya ...

aapka

vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com

Razi Shahab said...

बहुत प्यारा चित्रण
बहुत अच्छी कविता

श्रद्धा जैन said...

ahaaaaaa kitni meethi kavita hai

bahut khoobsurat

Prem Farukhabadi said...

खूबसूरत नज़्म के लिए बधाई.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत भावपूर्ण और सौंदर्य से ओत-प्रोत रचना....

वन्दना अवस्थी दुबे said...

तेरे ठिठके मन चंचल में
कितनी गलियां है
वाह!! अतिसुन्दर.

सदा said...

गहरे भावों के साथ सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

ज़मीर said...

आपकी यह कविता बहुत अच्छी लगी.

laveena rastoggi said...

क्या कहूँ......इतनी सुंदर रचना के उपयुक्त शब्द ढूँढना भी नयी रचना से कम नहीं...खूबसूरत..!!.

Anonymous said...

hello,aap ki rachnayen padhin bahut achhi lagin,fareef me kyaa kahun shabd nahi mere paas..

Satish Saxena said...

वाह !
आनंद आ गया, बेहतरीन भाव प्रदर्शन !

Alpana Verma said...

खूबसूरत रचना!
आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं

डॉ 0 विभा नायक said...

bahut pyaari kavita hai. padhte huye aisa laga jaise prasad ko padh rahi hoon,