सोमवार, 13 मई 2019

लुटा हुआ ये शहर है

ख़बर ये है कि 
ख़बरों में वो ही नहीं
जिनकी ये ख़बर है
.
डर से ये 
कहीं मर न जाएं
बस यही डर है
.
लूटेरे भी 
लूटेंगे किसको?
लुटा हुआ ये शहर है
.
दवा भला 
असर करे कैसे?
शीशियों में तो ज़हर है
.
मंजिल तो
इस रास्ते पर है ही नहीं
अँधा ये सफर है
.
खौफजदा,
गुमनाम सा, दुबका हुआ
ये शेरे-बबर है
.
नाम तो है
पर बताये कैसे?
खौफ का इतना असर है
.
मुआवजा तो खूब मिला
पर उनको नहीं
जिनके उजड़े घर हैं

14 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (14-05-2019) को "लुटा हुआ ये शहर है" (चर्चा अंक- 3334) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत बढिय़ा।

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना टी. बालासरस्वती जी की 101वीं जयंती और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Jyoti khare ने कहा…

वाह बहुत सुंदर

M VERMA ने कहा…

शुक्रिया

विकास नैनवाल 'अंजान' ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति।

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह सुन्दर

M VERMA ने कहा…

धन्यवाद

मन की वीणा ने कहा…

बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति।

M VERMA ने कहा…

जी धन्यवाद

M VERMA ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद