तुम पहाड़ पर चढ़ो
हम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे;
तुम जमीन खोदकर
पाताल में उतर जाओ,
जब तक तुम
बाहर नहीं आ जाते
हम तुम्हारे लिए
फिक्रमंद रहेंगे.
हम लड़ रहे हैं;
लड़ते रहेंगे तुम्हारे लिए.
तुम चिलचिलाती धूप में
रेतीली जमीन पार कर
उस पार जब पहुंचोगे,
हवाई मार्ग से पहुंचकर
हम तुम्हे वहीं मिलेंगे,
भरे मंच पर
तुम्हारा सम्मान करेंगे;
तुम्हारे अथक श्रम की
भूरि-भूरि सराहना और
तुम्हारी जीजिविषा का
गुणगान करेंगे.
तुम निश्चिन्त रहो,
हमने तो
तुम्हारे जीवन के एवज में
मुआवजे भी तजबीज रखें हैं,
हमारे लिए तुम्हारा जीवन
बेशकीमती है,
तुम बेख़ौफ़ होकर
पहाड़ पर चढ़ो
हम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे
महीन कटाक्ष।
ReplyDeleteआनंद आ गया पढ़कर।
हमारी बधाई स्वीकार करें सर जी।
चुभेगा ज़रूर...................
ReplyDeleteबहुत बढ़िया .
सादर.
वाह,क्या खूब चढ़ाया है इमली के झाड़ पर !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कटाक्ष ,सुंदर रचना,,,,,
ReplyDeleteRESENT POST ,,,, फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,
सुन्दर कटाक्ष है,हर किसी के जीवन में कुछ ऐसे लोग अवश्य ही मिलते होंगे जो आपको पहाड पर चढाते होंगे और अपना ऊल्लू सीधा करते होंगे
ReplyDeleteसुन्दर कविता है .......
बहुत सुंदर । मेरे नए पोस्ट पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteतुम बेख़ौफ़ होकर
ReplyDeleteपहाड़ पर चढ़ो
हम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे... हमारे पास यह तो है ही
सारा देश बस दुआघर बन गया है, सब बस कुछ हो जाने की दुआ कर रहे हैं।
ReplyDeleteपर हम कुछ नहीं करेंगे . सिवाय दुआ करने के ... तीखा कटाक्ष
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 5/6/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी |
ReplyDeleteमीठास के साथ किया गया गहरा कटाक्ष!
ReplyDeleteutkrisht rachana
ReplyDeleteगहन भाव संयोजित किये हैं आपने ... आभार ।
ReplyDeleteवाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteआम आदमी और कर भी क्या सकता है ... बस कर ही सकता है .. बाकी सब काम तो वो (देश के कर्णधार) कर ही लेंगे ...
ReplyDeleteगहरा कटाक्ष है इस रचना में ...
गहरा कटाक्ष!
ReplyDeletegahan abhivaykti.....
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण
ReplyDeleteकरारा.
आम आदमी की खास कहानी .
ReplyDeleteहाय ! सफलता की यही कहानी...चुभोती हुई..
ReplyDeletewah ! umda....kataksh bhi pyar say...
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ReplyDeleteतुम पहाड़ पर चढ़ो....तीक्ष्ण व्यंग्य
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सटीक कटाक्ष...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteतुम चिलचिलाती धूप में
ReplyDeleteरेतीली जमीन पार कर
उस पार जब पहुंचोगे,
हवाई मार्ग से पहुंचकर
हम तुम्हे वहीं मिलेंगे, ....
जबरदस्त प्रहार..... अत्यंत प्रभावशाली रचना...
सादर.
बेहतर जनाब...
ReplyDeleteबेहद तीखा कटाक्ष
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और सार्थक रचना...
अत्यधिक सुन्दर कटाक्ष
ReplyDelete(अरुन =arunsblog.in)
सुन्दर कविता
ReplyDelete(अरुन =arunsblog.in)
हम तो बस इतना ही कर सकते हैं ।
ReplyDeleteहम तुम्हारी सफलता के लिए
ReplyDeleteदुआएं करेंगे
बहुत ही सुन्दर रचना
तुम पहाड़ पर चढ़ो
ReplyDeleteहम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे......saral.....sunder shabd.
saral bhaw तुम पहाड़ पर चढ़ो
ReplyDeleteहम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे;.....
तुम बेख़ौफ़ होकर
ReplyDeleteपहाड़ पर चढ़ो
हम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे.
नए अंदाज़ की कविता.
आभार.
हमारे लिए तुम्हारा जीवन
ReplyDeleteबेशकीमती है,
तुम बेख़ौफ़ होकर
पहाड़ पर चढ़ो
हम तुम्हारी सफलता के लिए
दुआएं करेंगे
बहुत सटीक और सीधी बात की तरह है भाई साहब .नेताओं पर तंत्र लोक के रहनुमाओं पर .
वाह बहुत खूब ....गहरा कटाक्ष
ReplyDeleteकिसी भी वक्त ...किसी की भी दुआ काम कर जाती हैं
this is a very beautiful n deep post...
ReplyDeletesarcasm at its best !!!
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
गहन भाव समेटे रचना
ReplyDeleteआज के समय का सच ......
ReplyDeleteGreat post. Check my website on hindi stories at http://afsaana.in/ . Thanks!
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