लिंग : पुलिंग, स्त्रीलिंग पुलिंग : मनमर्जी का किंग. स्त्रीलिंग : अबला और असहाय, बिना समीक्षा देनी होगी अग्निपरीक्षा अंततोगत्वा आनरकिलिंग. लिंग : पुलिंग, स्त्रीलिंग अरे नहीं !!! एक और भी है : नपुंसकलिंग.
Kaka Hatharsi anayas hi yaad aa gaye..unki rachana lingbhed..kahte hain,mardangiki nishani,moochh'ka ling hai streeling...chaachiji ka jooda hai pulling!
बहुत सुन्दर रचना है ... लिंगभेद हमारे समाज में किस हद तक बसा हुआ है ... इसका एक उदाहरण स्वयं हमारी भाषा "हिंदी" है ! अंग्रेजी में masculine, feminine और neutral gender होते हैं ... पर हम तो हर चीज़ को पुलिंग और स्त्रीलिंग में बाँट चुके हैं ... पुलिस स्त्रीलिंग, मूछ स्त्रीलिंग, इतनी बड़ी गाड़ी वो भी स्त्रीलिंग !
परिभाषाओं के माध्यम से रची गयी इस कविता की प्रशंसा किन शब्दों में करूं. नपुंसक लिंग का भेद आपने खोला ही नहीं. दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या नपुंसकों की ही है. दिक्कत सिर्फ ये है कि इन्हें पहचानना मुश्किल है. अपने दो शेर आपकी कविता के समर्थन में: आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों काम आती है सिर्फ नामर्दी
मर्द ही हिजड़े नहीं होते किन्नरों में नारियां भी हैं.
लिंग : पुलिंग, स्त्रीलिंग [Photo] पुलिंग : मनमर्जी का किंग. स्त्रीलिंग : अबला और असहाय, बिना समीक्षा देनी होगी अग्निपरीक्षा अंततोगत्वा आनरकिलिंग. लिंग : पुलिंग, स्त्रीलिंग अरे नहीं !!! एक और भी है : नपुंसकलिंग.......वाह...वाह....क्या बात है ......स्त्रीलिंग और पुल्लिंग को खूब शब्दों में पिरोया है आपने .....
और ये सर्वत जी के कमाल के शे'र .......
आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों काम आती है सिर्फ नामर्दी
मर्द ही हिजड़े नहीं होते किन्नरों में नारियां भी हैं.
कलिंग को तो आप भुल गये जी
ReplyDeleteKaka Hatharsi anayas hi yaad aa gaye..unki rachana lingbhed..kahte hain,mardangiki nishani,moochh'ka ling hai streeling...chaachiji ka jooda hai pulling!
ReplyDeleteस्त्रीलिंग : अबला और असहाय
ReplyDeleteअफ़सोस अभी भी ।
chand sundar shabdon ko khoobsoorat kram me sajakar itne bade darshan ki baat kah gaye aap.. aabhar..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है ... लिंगभेद हमारे समाज में किस हद तक बसा हुआ है ... इसका एक उदाहरण स्वयं हमारी भाषा "हिंदी" है ! अंग्रेजी में masculine, feminine और neutral gender होते हैं ... पर हम तो हर चीज़ को पुलिंग और स्त्रीलिंग में बाँट चुके हैं ... पुलिस स्त्रीलिंग, मूछ स्त्रीलिंग, इतनी बड़ी गाड़ी वो भी स्त्रीलिंग !
ReplyDeleteपूरे समाज में ये लिंगभेद है ... और पुरुष सबसे ज़्यादा फ़ायडे में है ... तभी तो ये शब्द जीवित है ...
ReplyDeletevery Good....
ReplyDeleteरोचक ।
ReplyDeleteanutha...rochak.
ReplyDeleteनया प्रयोग ,रोचक
ReplyDeleteये तो बहुत ही रोचक बन पड़ा..बढ़िया प्रस्तुति बधाई
ReplyDeleteबिना समीक्षा
ReplyDeleteदेनी होगी
अग्निपरीक्षा
... अदभुत अभिव्यक्ति ... प्रसंशनीय रचना !!!
वाह! क्या बात है !
ReplyDeleteबहुत ही रोचक ..........
ReplyDeleteअरे नहीं !!!
ReplyDeleteएक और भी है :
नपुंसकलिंग.
मेज्योरिटी में हैं?! :)
ACHCHHA LAGA. BADHAI!!
ReplyDeleteअच्छा व्यंग....इस बात पर गहराई से सोचना चाहिए
ReplyDeleteसही कहा।
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य!
ReplyDeleteso many in english billing, killing, milling, chilling...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दरता से और एक नए अंदाज़ में आपने रचना प्रस्तुत किया है! रोचक लगा!
ReplyDeleteA new thought written in typical way.
ReplyDeletenice
Asha
नए एहसास में पिरोई हुयी कविता......जिसने दिमाग को हिला दिया...!
ReplyDeleteक्या खूब....
ReplyDeleteपरिभाषाओं के माध्यम से रची गयी इस कविता की प्रशंसा किन शब्दों में करूं. नपुंसक लिंग का भेद आपने खोला ही नहीं. दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या नपुंसकों की ही है. दिक्कत सिर्फ ये है कि इन्हें पहचानना मुश्किल है. अपने दो शेर आपकी कविता के समर्थन में:
ReplyDeleteआप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों
काम आती है सिर्फ नामर्दी
मर्द ही हिजड़े नहीं होते
किन्नरों में नारियां भी हैं.
लिंग : पुलिंग, स्त्रीलिंग [Photo] पुलिंग : मनमर्जी का किंग. स्त्रीलिंग : अबला और असहाय, बिना समीक्षा देनी होगी अग्निपरीक्षा अंततोगत्वा आनरकिलिंग. लिंग : पुलिंग, स्त्रीलिंग अरे नहीं !!! एक और भी है : नपुंसकलिंग.......वाह...वाह....क्या बात है ......स्त्रीलिंग और पुल्लिंग को खूब शब्दों में पिरोया है आपने .....
ReplyDeleteऔर ये सर्वत जी के कमाल के शे'र .......
आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों
काम आती है सिर्फ नामर्दी
मर्द ही हिजड़े नहीं होते
किन्नरों में नारियां भी हैं.
वाह....वा.......!!
inhi lingo ne hi failayi hai asal me asamaajikta....aaj pata chala.
ReplyDeleteलिंग भेद पर बेहतरीन पोस्ट...नए-नए शब्द..बहुत खूब.
ReplyDelete***************
'शब्द सृजन की ओर' पर 10 मई 1857 की याद में..आप भी शामिल हों.
ek anokhe andaaj me kah gaye aham baat .umda
ReplyDeleteमज़ा आ गया, आज का नदाज़ गज़ब का रहा ! साथ ही यह नपुंसक लिंग ...ज़माना ही इनका है ! सर्वात भाई का यह शेर भी खूब जमा यहाँ !
ReplyDeleteसादर
"आप अगर मर्द हैं तो खुश मत हों
काम आती है सिर्फ नामर्दी"
kuch hatkar laga..!
ReplyDeleteLingbedh par karara vyangya.badhai.
ReplyDelete"Dhindorapeeto" post kahan hai?Ya yah bhi net ka koyi chamatkar hai,ki,post adrushy ho jay?:):)
ReplyDeleteफिर से पढना पड़ेगा...
ReplyDelete_______________
पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'
जन्मदिवस की शुभकामना के लिए आपको बहुत धन्यवाद.
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