इससे पहले कि
’शब्द’ शब्दों से मिलकर
बुन दें एक अभेद्य तिलिस्म,
तुम लिखो एक खत
शब्दों के बिना ।
.
तत्पर हैं
संवादों के आखेटक;
बनाने को इनको
विस्फोटक,
खिड़कियाँ खोल झाँक रहा है
हर मकान;
तैनात किए गए है
सुनने को आतुर
अनगिनत कान,
इससे पहले कि
हमारे-तुम्हारे बीच के संवाद
अनुवादित हों
तुम कहो एक ‘शब्द’
शब्दों के बिना ।
.
कुंठित क्यों करना
नैसर्गिक आवेगों को,
प्रवाहित होने दो
पराश्रव्य और पराशब्द
संवेगों को,
इससे पहले कि
शब्द मेरे हों
हताश; निराश
तुम सुनो एक ‘शब्द’
शब्दों के बिना ।
जज़्बात पर जज़्ज्बात की बाते हुई हैं
ReplyDeleteशब्दों के बिन, प्यार की बाते हुई हैं।
..बहुत सुंदर।
इन अद्भुत गहरे भावों को बाटने का आभार
ReplyDeleteएक शब्द शब्दों के बिना
ReplyDeleteबेहतरीन
तुम सुनो एक शब्द शब्द के बिना .... वाह शानदार प्रस्तुति समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletewaah bahut sundar..shabdon ne jadu kar diya....
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ReplyDeleteएक शब्द को सुनना शब्दों के बिना.
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रयोग. सुंदर प्रस्तुति के लिये बधाई.
''tum suno ek shabd shabdon ke bina, tum kaho ek shabd shabdon ke bina''...bahut sundar sahabd bhaav. shubhkaamnaayen.
ReplyDeleteकुंठित क्यों करना
ReplyDeleteनैसर्गिक आवेगों को,
प्रवाहित होने दो
पराश्रव्य और पराशब्द
संवेगों को,
शब्दों के बिना संवाद ..बहुत खूबसूरत रचना ..
सुनो एक शब्द शब्दों की बिना .... इस पर टिप्पणी के लिए शब्द नहीं हैं
ReplyDeleteशब्दों के बगैर एक ख़त ...
ReplyDeleteइसे पढ़ लिया तो फिर कोई मुश्किल नहीं
इससे पहले कि
ReplyDeleteशब्द मेरे हों
हताश; निराश
तुम सुनो एक ‘शब्द’
शब्दों के बिना ।
Waah!
वाह! बहुत गहराई लिए हुए है यह रचना... अच्छी लगी...
ReplyDeleteकभी-कभी मौन शब्दों से अधिक मुखर होता है। अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeletebaut hi sundar kavita hai
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव शब्द में पिरोये हैं आपने ! बेहतरीन कविता !
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html
शब्द शब्दों के बिना ... बहुत ही लाजवाब कल्पना है वर्मा जी ... अद्बुध गहरे भाव ...
ReplyDeleteशब्दों के बिना शब्द ...
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति !
bahut khoobsurat kavita ! alag tarah ka vimb hai...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सशक्त रचना!
ReplyDeleteतुम लिखो एक खत शब्दों के बिना ।
ReplyDeleteतुम सुनो एक ‘शब्द’ शब्दों के बिना ।
बहुत खूब , सुंदर रचना ... शुभकामनाएँ
तुम लिखो एक खत शब्दों के बिना ।
ReplyDeleteतुम सुनो एक ‘शब्द’ शब्दों के बिना ।
बहुत खूब , सुंदर रचना ... शुभकामनाएँ
हमेशा की तरह गहरे भाव लिए रचना ।
ReplyDeleteअति सुन्दर ।
बेहतरीन रचना के लिए बधाई भाई जी !
ReplyDeleteअलग अंदाज़ है ...
शब्दों के बिना शब्द वाह । परावाणी से ही विचारों का आदान प्रदान । सुंदर रचना ।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteगहन भाव!
ReplyDeleteबढ़िया भावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeleteGyan Darpan
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-694:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
वाह! जादू भरे शब्द पिरोयें हैं आपने!
ReplyDeleteshabdon ke bina.......wah......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव...सुंदर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeletekaash koi shabd hota
ReplyDeletemere paas bhi
to zaroor likh deti yaha
shabdon k bina...
laajawaab...
अद्भुत....
ReplyDeleteसादर...
तुम लिखो एक खत
ReplyDeleteशब्दों के बिना ।
.बहुत हि सुनदार रचना !
शुभकामनाएं!
nishabd....bas hun!
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