Friday, November 4, 2011

साजिशों से बनी दीवारें ...


कभी सर्द हवाओं;
तो कभी
गर्म थपेड़ों के बहाने
उसके इर्द-गिर्द
खड़ी कर दी गई
बिना छत की दीवारें ।
वह विभेद करता रहा,
उन दीवारों से कान सटाकर
अट्टहास और चीत्कार में ।
अक्सर रात में
उसे दिखाये गये
चमकदार तारें;
आक्सीजन के नाम पर
उसे दिया गया निरंतर
आश्वासनों का अफीम ।
वह खुद ही में खोया,
कभी खुद ही को ढोया
और फिर
फूट-फूट कर रोया ।
.
मुझे पता है अब वह
खुद को भरमायेगा;
दीवारों से सर टकरायेगा
और फिर अंततोगत्वा
वहीं मर जायेगा ।
शायद वह जानता ही नहीं
साजिशों से बनी दीवारें
टूटा नहीं करती हैं ।

25 comments:

  1. न जाने ऐसी कितनी ही दीवारें खड़ी कर ली हैं हमने अपने चारों ओर।

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  2. जाने कितने दर्द बयाँ कर रही है यह गूढ़ रचना ।
    महंगाई और भ्रष्टाचार रुपी साजिशों की दीवारों में घिरा इंसान आज यूँ ही तड़प तड़प कर मर रहा है ।

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  3. गहन अर्थ लिए हुए खूबसूरत रचना

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  4. और फिर अंततोगत्वा

    वहीं मर जायेगा ।

    शायद वह जानता ही नहीं

    साजिशों से बनी दीवारें

    टूटा नहीं करती हैं ।
    Uff!

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  5. •आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ......कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवाद.

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  6. बिना छत की दीवारें और साजीशों का भंवर... अंततोगत्वा मिटा ही तो देता है!
    गहन रचना!

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  7. गहन भावों की अभिव्यक्ति दीवारों के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने ...

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  8. साजिशों से बनी दीवारें टूटा नहीं करती ...
    बेहतरीन !

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  9. सुन्दर रचना....
    सादर...

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  10. साजिशों से बनी दीवारें टूटती नहीं
    तोड़ देती हैं ....

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  11. शायद वह जानता ही नहीं

    साजिशों से बनी दीवारें

    टूटा नहीं करती हैं ।
    Ekdam sachch, shaandaar rachnaa.

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  12. जबर्दस्त कविता लिखी है।

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  13. behatareen bhaavon se saji sundar kavita

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  14. भावमय करती प्रस्‍तुति ।

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  15. साजिशे है हर तरफ़
    है मगर अचरज फिर भी
    घर बसे हैं, घर बचे हैं
    --ऋषभ देव शर्मा [‘ताकि सनद रहे’ पुस्तक से]

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  16. वे लौह दीवारें होती हैं शायद !

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  17. मुझे पता है अब वह
    खुद को भरमायेगा;
    दीवारों से सर टकरायेगा
    और फिर अंततोगत्वा
    वहीं मर जायेगा ।

    बहुत गंभीर और विचारणीय प्रस्तुति. मन बहुत भावुक हो गया इस रचना से.

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  18. और साजिशें आपके नाम को बट्टा लगाने के लिए इतिहास मे दर्ज हो जाती हैं.. साजिशें मरा नहीं करतीं...

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  19. शायद वह जानता ही नहीं
    साजिशों से बनी दीवारें
    टूटा नहीं करती हैं।
    ...वाह! ये पंक्तियाँ बड़ी दमदार हैं। सशक्त कविता।

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  20. गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  21. सही कहा आपने ....
    शुभकामनायें ! !

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  22. शायद वह जानता ही नहीं
    साजिशों से बनी दीवारें
    टूटा नहीं करती हैं ।
    ....gahra arthbodh karati saarthak rachna...

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