हर बार
उसके लिये भी
उसका हिस्सा
रखा गया
पर,
उस तक पहुँचने से पहले ही
अनुमान से ज्यादा
हिस्सेदार आ गये;
या फिर
कुछ हिस्सेदारों ने
निर्धारित से ज्यादा
उपभोग कर लिया,
और वह
वंचित रह गया.
ऐसा भी नहीं
कि उसे सर्वथा
नकार दिया गया
बल्कि,
उसे अगली बार का
आश्वासन दिया गया
वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
Wah! Kya gazab kaa sashakt wyang hai!
ReplyDeletedamn good sarcastic post !!
ReplyDeleteEnjoyed reading..
वाह ...बेहद सशक्त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteyah agli baar ... kab aayega , kahan tay hai !
ReplyDeleteKamaal kaa likha hai!
ReplyDeleteबेहद सशक्त व्यंग्य्।
ReplyDeleteअगले चुनाव तक स्वाति नक्षत्र से टपकने वाली बूंदों का इंतज़ार....श्रेष्ठ रचना....अपार शुभ कामनाएं...
ReplyDeleteकमाल की अभिव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteयही कहानी हर घर फैली।
ReplyDeleteमन के तारों को झंकृत कर गयी रचना।
ReplyDelete---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
सुन्दर भावों से सुसज्जित शानदार रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब रहा! वर्मा जी आपकी लेखनी को सलाम! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteबेचारा अगली बार का ही इंतज़ार करता रह जायेगा ..सशक्त व्यंग
ReplyDeleteयह तो हिस्सा मर जानें वालों की साजिश थी....अच्छी नज़्म वर्मा जी..:)
ReplyDeleteवंचित हमेशा अगली बार के लिए टरकाया जाता रहा है।
ReplyDelete...सटीक व्यंग्य।
बेहतरीन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteलोकतंत्र झूठे आश्वासन पर ही चल रहा है ।
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक रचना ॥
उसके धैर्य का यही फल मिलना था उसको । कमाल की रचना ।
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteएवं सच के करीब।
---------
ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
2 दिन में अखबारों में 3 पोस्टें...
वाह ..बेहतरीन ।
ReplyDeleteबुहत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteवर्मा जी आपका जवाब नहीं!
सार्थक रचना
ReplyDeleteलोग समन्दर पी जाते हैं
ReplyDeleteमैं चुल्लू बनाए झुका रह जाता हूं...
बेहतर बात...
आदरणिय वर्मा साहब,
ReplyDeleteअगली बार के आश्वासनों का बोझ उठाते हुए जिस दिन इस व्यव्स्था में गौण हो चुके लेकिन जरूरी बने हुए व्यक्ति का धैर्य जवाब दे गया?
तब बाकियों के हिस्सों में क्या बचेगा?
एक गंभीर व्यंग्य.........
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
जनता का भी तो कुछ कुछ ऐसा ही हाल है .... शशक्त रचना ...
ReplyDeletebehatreen
ReplyDeleteमन के भावों को झंकृत करती रचना।
ReplyDelete---------
टेक्निकल एडवाइस चाहिए...
क्यों लग रही है यह रहस्यम आग...
बेहद सशक्त भावों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसत्य कहा...
ReplyDeleteसर्वथा सटीक और सार्थक...
आभार इस सुन्दर रचना के लिए...
Very impressive!
ReplyDeleteThe reasons of various problems in India are on my blog. You're cordially invited to keep your views. Thanks.
यह अगली बार कुछ लोगों को कभी नहीं आता..बहुत सटीक व्यंग...बहुत सुन्दर और सशक्त प्रस्तुति..
ReplyDeleteआपको बार-बार पढने का मन करता है।
ReplyDelete---------
रहस्यम आग...
ब्लॉग-मैन पाबला जी...
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
bahut badiya prabhvpurn bhavabhivykti...
ReplyDeleteबेहद सशक्त रचना है यह. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteआम आदमी आश्वासनों के भरोसे जीवन बिता देता है ...बढ़िया व्यंग्य
ReplyDeleteखूबसूरत और सार्थक कविता...
ReplyDeleteयह अक्सर होता है वर्मा जी ! शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteबहुत अच्छा सार्थक कटाक्ष.
ReplyDeleteआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल ३० - ६ - २०११ को यहाँ भी है
ReplyDeleteनयी पुरानी हल चल में आज -
bahut sundar,
ReplyDeleteआभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
वंचितों के हिस्से हमेशा से आती रही है झूठी प्रशंसा।
ReplyDeleteवंचितों के हिस्से हमेशा से आती रही है झूठी प्रशंसा।
ReplyDeleteKITNA SABR HAI ? SUNDER VYANGYE
ReplyDeleteसच नकाब में होता है , यहां नहीं नंगा कोई.
ReplyDeleteसबका दिल घायल घायल यहां नहीं चंगा कोई.
सच्चे प्यार - मोहब्बत पर नफ़रतों की गश्ती है.
यह इंसानों की बस्ती है यह इंसानों की बस्ती है.
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खूबसूरत सार्थक कविता...शुभ कामनाएं...
ReplyDeleteउसे अगली बार का
ReplyDeleteआश्वासन दिया गया
वह सौभाग्यशाली है
क्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
..aur wah agli baar kab chala jaata hai use khabar tak nahi hoti!
..vartmaan haalaton ka sundar chitran prastuti ke liye aabhar!
सुंदर शब्दों के साथ सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeletebina kuchh kahe bahut kuchh kah gayi aapki kuchh panktiyaan
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Din-pratidin hissedaar badhate hi jaa rahe hain aur vanchito ko manch mil hi jata hai . shubhkamna
ReplyDeleteवर्मा जी,हमेशा की तरह लाजवाब कविता...
ReplyDeleteबधाई हो....
आपकी प्रतीक्षा है...
ReplyDeletevery good.....
ReplyDeleteअगली बार कोई और हिस्सा बंटाने आ जायेगा...
ReplyDeleteजिन्दगी की हकीकत यही है....!!
आपने तो पूरा शब्द जाल बनाकर कविता में परिवर्तित कर दिया. अद्भुत अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteवह सौभाग्यशाली है
ReplyDeleteक्योंकि,
उसके धैर्य और
उसकी महत्ता का
समवेत गुणगान
भरे मंच से किया गया.
वर्मा जी ,
निचोड़ दिया आपने तो ,
बहुत ही सुन्दर