Friday, August 13, 2010

हो रही है चहलकदमी अजनबियों की~~



रोज़ बामुश्किल यह शहर संभलता है
सांझ ढलते फिर धूँ-धूँ कर जलता है
.
रहनुमा आँकड़ों ने जब से हाल पूछा है
बेहोशी के आलम मे भी उछलता है
.
हो रही है चहलकदमी अजनबियों की
खौफ़ के साये तले यह अब चलता है
.
लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत
बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है
.
पथरीले एहसास इसकी आँखों में है
हर घड़ी अब यह तो रंगत बदलता है
.
सवालों के इश्तहार इसके माथे पर हैं
अनुत्तरित रहकर हाथ यह मलता है
.
यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है

55 comments:

  1. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत
    बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है
    खुबसूरत शेर दिल की गहराई से लिखा गया, मुवारक हो

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  2. यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
    छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है

    बहुत कुछ कह दिया अपने इन पंक्तियों में ..

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  3. पथरीले एहसास इसकी आँखों में है
    हर घड़ी अब यह तो रंगत बदलता है

    बहुत सुन्दर !

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  4. यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
    छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है
    सही चित्रण
    सुन्दर गज़ल

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  5. यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
    छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है

    वाह , क्या विरोधाभास दिखाया है । बेहतरीन ।

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  6. वाह जी क्या बात कही आप ने,बहुत अच्छी लगी आप की यह रचना, धन्यवाद

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  7. रहनुमा आँकड़ों ने जब से हाल पूछा है

    बेहोशी के आलम मे भी उछलता है

    हो रही है चहलकदमी अजनबियों की

    खौफ़ के साये तले यह अब चलता है
    Waah! bahut sundar aur gahari baat kahi aapane....behatreen rachana ke liye Dhanywaad!

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  8. वाह,वर्मा जी, गजब की रचना है,
    टेम्पलेट भी सुंदर है,
    नागपंचमी की बधाई
    सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाएं-हिन्दी सेवा करते रहें।


    नौजवानों की शहादत-पिज्जा बर्गर-बेरोजगारी-भ्रष्टाचार और आजादी की वर्षगाँठ

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  9. बहुत कुछ कह दिया अपने इन पंक्तियों में ..

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  10. इस संगीन माहौल में मासूमियत बचे भी कैसे और कब तक ...
    फिर भी लगे हुए हैं हम तो ...!

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  11. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

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  12. हो रही है चहलकदमी अजनबियों की

    खौफ़ के साये तले यह अब चलता है

    बहुत से सवाल उठाती सुन्दर गज़ल....पत्थर होते शहर और इसमें रहने वाले लोग भी ...

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  13. jnaab vrmaa ji aapne to gzb kaa kmaal kiya he ho skta he kuch log meri is tippni ko mkkhn lgaana khen lekin yqin maaniye aapki kvitaa apki rchnaa ne desh ke haalaaton ko jo chnd shbon men smet ke rkh diyaa he voh koi kisi or ki baat nhin ab chaahe koi kuch bhi khe bhaayi hm to aapki is rchnaa ke fen ho gye . akhtar khan akela kota rajsthan

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  14. यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
    छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है

    आपकी हर एक पोस्ट लाजवाब ही होती है हर बार दिल के किसी न किसी कोने को छू कर निकलती है उफ़!!!11 कितना दर्द है इस में भी

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  15. बामुश्किल यह शहर संभलता है
    सांझ ढलते फिर धूँ-धूँ कर जलता है .

    हर शेर एक से बढकर एक्……………हालात का सजीव चित्रण्।

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  16. हो रही है चहलकदमी अजनबियों की

    खौफ़ के साये तले यह अब चलता है

    राजनेताओ की कारस्तानी है
    दिया तले अंधेरा पलता है

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  17. हो रही है चहलकदमी अजनबियों की

    खौफ़ के साये तले यह अब चलता है

    ... बहुत सुन्दर !!!

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  18. यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
    छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है
    ..कंकरीट के जंगल की व्यथा-कथा इस शेर से खूब उजागर होती है.
    ..वाह!

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  19. शहर की असलियत और हतबलता कितनी खूबसूरती से बयाँ की है ।

    सवालों के इश्तहार इसके माथे पर हैं

    अनुत्तरित रहकर हाथ यह मलता है

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  20. स्वतंत्रता की 63 वी वर्षगांठ पर बहुत बधाई ।

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  21. वाह हर लाइन एक कहानी कहती हुई.
    बहुत अच्छी लगी यह रचना.

    जय हिंद.

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  22. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत

    बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है

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  23. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत

    बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है
    अच्छी ग़ज़ल, जो दिल के साथ-साथ दिमाग़ में भी जगह बनाती है।

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  24. बहुत सुन्दर गजल ..मुझे तो पसंद आई.


    ________________
    स्वतंत्रता दिवस की बधाइयाँ..!!

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  25. आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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  26. आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

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  27. बहुत खूब लिखा अपने...प्रभावशाली पोस्ट.

    स्वाधीनता-दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...जय हिंद !!

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  28. This comment has been removed by the author.

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  29. अच्छी रचना

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

    हैपी ब्लॉगिंग

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    स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

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  31. रोज़ बामुश्किल यह शहर संभलता है

    सांझ ढलते फिर धूँ-धूँ कर जलता है
    पथरीले एहसास इसकी आँखों में है
    हर घड़ी अब यह तो रंगत बदलता है
    वाह बहुत ही लाज़्वाब .स्वन्त्रन्ता दिवस की ढेरो बधाई .

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  32. एक एक शेर दिल में उतर झकझोर गया.....
    लाजवाब.....बेहतरीन !!!!

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  33. मंगलवार 17 अगस्त को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है .कृपया वहाँ आ कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ....आपका इंतज़ार रहेगा ..आपकी अभिव्यक्ति ही हमारी प्रेरणा है ... आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  34. यूँ तो अट्टालिकाओं से अटा पड़ा है
    छाँव ढूढने के लिये रोज़ निकलता है

    बहुत खूब वर्मा जी ... इस इंट पतहर के शहर को हूबहू बयान किया है आपने ... संवेदनहीन शहर ...
    ग़ज़ब के शेर हैं ...

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  35. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है . पथरीले एहसास इसकी आँखों में है हर घड़ी अब यह तो रंगत बदलता है .
    dil ko chune vale sher

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  36. सवालों के इश्तहार इसके माथे पर हैं अनुत्तरित रहकर हाथ यह मलता है ........बहुत खूब कहा आपने ...बहुत पसंद आया यह शेर

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  37. आनंद आ गया
    भाई जी !! शुभकामनायें !

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  38. sir ,bahut hi sundar aur yatharth ko sahajata se liye hue ekbahut hisamyik post.
    poonam

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  39. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत
    बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है

    बेहद उम्दा पंक्तिया

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  40. लोगों को तालीम दी गयी है

    दुहराने के लिये

    ‘अतिथि देवो भव ...

    ‘अतिथि देवो भव ...
    Aap bhool rahen hain,ki,yahi to hamari pracheen parampara hai! Chahe isliye ham apne ghar ko gharke bashindon ko qurbaan kyon na kar den...aur haan,ek naveen pratha hai,pahle apne jeb bhar lene hote hain..

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  41. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत
    बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है ।

    गहरे भाव लिये सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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  42. आज ही

    यहाँ की झुग्गियाँ

    इसीलिये ढहा दी गयी है

    रूदन, क्रन्दन और चीत्कार के स्वर

    दबाने के लिये

    विदेशी अट्टहास

    आयातित करने के लिये


    क्या कहू ......?


    आपकी कलम हमेशा ही समाज की विकृतियों पर

    तीखी रही है ......बेमिसाल .....!!

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  43. jai ho verma ji
    kya khoob likha hai , man ko jhakjhorti hui rachna ... waah badhayi kabool kare..

    vijay
    आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
    http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html

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  44. मुस्कराहट के मुखौटे
    बाजार में उतार दिये गये हैं
    लोगों को तालीम दी गयी है
    दुहराने के लिये
    अतिथि देवो भव ...
    ‘अतिथि देवो भव ...
    ....ek katuwa satya.. jo aaj ka shagal banta hai...
    samajik bidambana ko ingit karti saarthak prastuti

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  45. लुट चुकी है अब इसकी मासूमियत
    बच्चों सा अब यह नहीं मचलता है
    बहुत ही खूबसूरत,शुभकामनाऐं।

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  46. bahut achha likha h apne
    m bhi bahut kuch likh rahi hu
    or bahut aage jana chahti hu
    par iske liye logo ka mujhe jan na bahut jaruri h
    kripya aap mera margdarsan kare k m logo tak apne vichar kese pahuchau
    or log mujhe mere naam se jaane
    mera link hai www.deepti09sharma.blogspot.com

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  47. Hi, nice information. i want to share my views which may help many. Where do I begin, I’m about 2 yrs into a marriage life that has had a lot of turbulance due to ED. I cannot make love to my wife or share any intimacy in the bedroom. Anyway all I can say is that I’m trying this new product INVIGO and iam reaching that pleasure. I think there is hope for everyone, Thanks to INVIGO!you can reach this at www.invigo.in

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  48. bahut sunder kavita.. aam aadmi ke sajish ke prati aagaah karti rachna..

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  49. बहुत कुछ कह दिया अपने इन पंक्तियों में !!!!

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