Saturday, April 13, 2019

इ शहर में आउर कौनो परेशानी नाही बा (भोजपुरी ग़ज़ल)

खाना नाही, बिजली आउर पानी नाही बा
इ शहर में आउर कौनो परेशानी नाही बा

मनई क देखा कान कुतर देहलेस चुहवा
लागेला कि इ शहर में चूहेदानी नाही बा

देखे के पहलवान जैसन लोग दिख जालन  
सच सुना कि इहा मगर जवानी नाही बा

इज्जत आबरू क लूटन रोज क बात हौ
बतावा के कही कि इ राजधानी नाही बा

हिस्से में इनके किस्सा-कहानी नाही हौ
काहें कि संगे इनके बुढ़िया नानी नाही बा 

9 comments:

नीरज गोस्वामी said...

वाह..अद्भुत ग़ज़ल...

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना रविवार 14 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

विनोद पाराशर said...

बहुत सुंदर गज़ल बा!👌

Meena sharma said...

वाह !

Onkar said...

बहुत खूब

मन की वीणा said...

वाह खूब अलग अंदाज बेहतरीन।

Meena Bhardwaj said...

लाजवाब सृजन । अलग सा अन्दाज ।

दिगम्बर नासवा said...

गज़ब ... मज़ा आ गया इस शैली पर ...
हर शेर लाजवाब है ...

संजय भास्‍कर said...

....अद्भुत ग़ज़ल

कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
संजय भास्‍कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com